कन्हैयालाल सेठिया के साहित्य पर भारतीय दर्शन का गहरा प्रभाव – डॉ. वसुन्धरा मिश्र

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मरूदेश संस्थान का आयोजन

सुजानगढ़। स्थानीय मरूदेश संस्थान द्वारा रविवार दोपहर को कन्हैयालाल सेठिया साहित्य संवाद श्रृंखला में कोलकाता की चर्चित हिन्दी लेखिका डॉ. वसुन्धरा मिश्र का व्याख्यान हुआ जिसमें उन्होंने कहा कि सेठिया के साहित्य पर भारतीय दर्शन का गहरा प्रभाव पड़ा है । प्रारम्भ में मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने अपने स्वागत उद्बोधन में डॉ. वसुन्धरा मिश्र का परिचय प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ. वसुंधरा मिश्र ने कहा कि लोक भाषाओं से ही राष्ट्र भाषा का विकास सम्भव हैं। बिना लोक भाषाओं के संरक्षण व संवर्धन के बिना राष्ट्र का विकास अधूरा रहेगा। इस हेतु उन्होंने कन्हैया लाल सेठिया सहित अनेक विद्वानजनों के विचार उद्धृत किये। ‘ कुछ बातें सेठिया जी की, कुछ रचनाएं सेठिया जी की ‘ शीर्षक से आयोज्य डॉ. वसुन्धरा मिश्र ने सेठिया की हिंदी काव्य कृतियों वनफूल , अग्निवीणा, मेरा युग , दीपकिरण, आज हिमालय बोला, खुली खिड़की चौड़े रास्ते, प्रतिबिम्ब , प्रणाम, मर्म, अनाम, निर्ग्रंथ, स्वगत, देह -विदेह, आकाशगंगा, वामन -विराट, निष्पति, श्रेयस आदि से चुनिंदा रचनाएँ भी प्रस्तुत की।अपने व्याख्यान में डॉ. वसुन्धरा मिश्र ने कहा कि सेठिया के सौंदर्य चित्रों में रंग हलके और रेखाएँ सूक्ष्म हैं। उन्होंने सौंदर्य से भी अधिक सौंदर्य के सात्विक प्रभाव को चित्रित किया है।

डॉ. मिश्र ने कहा कि सेठिया की कविता अपने भाव सम्मोहन, शिल्प सिद्धि, भाषागत, औदीत्य ,चिन्तन व कल्पना की समृद्धि से सर्वत्र प्रभावित करती है। आयोजन के अंत में कार्यक्रम संयोजक किशोर सैन व सुमनेश शर्मा ने आभार व्यक्त किया। इस वर्चुअल आयोजन से जयप्रकाश सेठिया, सिद्धार्थ सेठिया, गीतकार किशन दाधीच, डॉ. तारा दुगड़, हिंगलाज दान रतनू, वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र शर्मा, पंकज खेतान, डॉ. रामरतन लटियाल, हरि साहू महिया, डॉ. सुरेंद्र डी. सोनी, डॉ. भरत ओळा, डॉ. श्रवणकुमार सैनी ,ज्योत्सना बागरेचा, वरदान सिंह हाड़ा, डॉ. जय श्री सेठिया, सरोज भंसाली, बंशीधर शर्मा, प्रमोद शर्मा, डॉ. हेमन्तकृष्ण मिश्र, मोहन सोनी, ममता जयपाल, लक्ष्मी बदरा, महावीर जंगम, पूनमचंद सारस्वत, अशोक पुरोहित, राहुल सेठिया साजिद टाक ,डॉ. वीरेंद्र भाटी मंगल आदि लोग जुड़े ।

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