यथार्थ पर संवाद करेंगे तो ही समता आएगी: गोठवाल

0
418

जयपुर के समानांतर साहित्य उत्सव में ‘च मानी चमार’ के लेखक उम्मेद गोठवाल हुए साहित्यप्रेमियों से मुखातिब

जयपुर। राजस्थानी के चर्चित लेखक उम्मेद गोठवाल ने रविवार को जयपुर के जवाहर कला केंद्र में चल रहे समानांतर साहित्य उत्सव के ‘किताब गुवाड़ी’ मंच पर हाल ही में प्रकाशित अपनी चर्चित आत्मकथा ‘च मानी चमार’ पर खुलकर चर्चा की और मॉडरेटर भरत ओला के सवालों देते हुए अपने अनुभव साझा किए।
इस दौरान मौजूद हिंदी की नामचीन लेखिका ममता कालिया ने कहा कि ओमप्रकाश वाल्मीकि और श्योराज सिंह बेचैन की आत्मकथा पढ़ने के बाद मैं उम्मेद गोठवाल की इस चर्चित किताब को पढ़ने को लेकर उत्सुक हूँ। किताब का शीर्षक ही इतना क्रांतिकारी है, जिससे लगता है कि लेखक ने बड़े ही साहस के साथ समाज की विद्रूपता को लिखा है।
चर्चा के दौरान गोठवाल ने कहा कि हमें समाज मे व्याप्त जातिवाद के कैंसर पर खुलकर बात करनी होगी और इसके खात्मे की तरफ बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि हम यथार्थ पर बात करेंगे, तभी समाज किसी समतामूलक संरचना की तरफ बढ़ सकेगा। गोठवाल ने आत्मकथा में आये विभिन्न पात्रों और घटनाओं पर बात करते हुए कहा कि समाज मे सभी तरह के तत्व हैं लेकिन जाति से जुड़ी विसंगतियां और विद्रूपताएं आज भी भरपूर विद्यमान हैं। दलितों के उत्पीड़न की घटनाएं जिस तरह से आज भी रोजमर्रा में हमारे सामने आ रही हैं, हमें सोचना तो होगा ही कि कहीं व्यवस्था द्वारा समरसता जैसे शब्दों के जाल में हमें यथास्थिति में रहने को मजबूर तो नहीं किया जा रहा।इस दौरान प्रख्यात साहित्यकार डॉ जितेंद्र कुमार सोनी, ईश्वर सिंह चौहान आदि ने भी किताब पर चर्चा की और गोठवाल ने उनके सवालों के जवाब दिए।
इस दौरान वरिष्ठ लेखक फारूख आफरीदी, मीठेश निर्मोही, गुजराती लेखक प्रवीण गढ़वी, साहिल परमार, सत्यनारायण व्यास, पत्रकार राजन महान, डॉ जगदीश गिरी, भंवर सिंह सामौर, चित्रकार रामकिशन अडिग, गौतम अरोड़ा, दुलाराम सहारण, राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रो विशाल विक्रम सिंह, दिनेश चारण, कुमार अजय, डॉ घनश्याम नाथ कच्छावा, किशोर सेन सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here