भ्रमण कर लौटा वनस्पति विभाग का दल

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चूरू। राजकीय लोहिया महाविद्यालय चूरू के वनस्पति शास्त्र विभाग के स्नातकोत्तर विद्र्याथियों का शैक्षणिक भ्रमण दल तीन दिवसीय यात्रा के पश्चात वापस लौट आया।
तीन दिवसीय भ्रमण दल में पूर्वार्ध व उत्तरार्ध कक्षाओं के 54 विद्यार्थी शामिल थे। भ्रमण विभागाध्यक्ष डॉ शेर मोहम्मद व डॉक्टर हरदेवराम, सहायक आचार्य के निर्देशन में संपन्न हुआ। डॉ. शेर मोहम्मद ने बताया कि इस दल ने तीन दिवसीय भ्रमण के दौरान अमृतसर, चंडीगढ़ एवं पंचकूला में स्थित वनस्पतियों के अध्ययन के साथ-साथ ऎतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों का अवलोकन किया। डॉ. मोहम्मद के अनुसार भ्रमण दल ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के दर्शन के साथ पास में ही स्थित जलियांवाला बाग के ऎतिहासिक महत्व को समझा। इस क्रम में दल ने महाराजा रणजीत सिंह अजायबघर का भी अवलोकन किया एवं महाराजा के द्वारा किए गए र्धामिक एवं ऎतिहासिक कायोर्ं को चित्रों के माध्यम से समझा। भ्रमण दल ने शाम के वक्त वाघा बॉर्डर पर फ्लैग सेरिमनी से संबंधित परेड का अवलोकन किया तथा देश प्रेम से ओतप्रोत होकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया। चंडीगढ़ के पास स्थित पंचकूला में स्थित राष्ट्रीय कैक्टस वानस्पतिक उद्यान एवं अनुसंधान केंद्र का भ्रमण कर दल ने वहां पाए जाने वाले 35 हजार प्रकार के केक्टस के पौधों के साथ संकटग्रस्त मांसल पौधों की प्रजातियों के बारे में जानकारियां प्राप्त की जो कि बहुत ही सराहनीय प्रयास रहा। यह एशिया का एक मात्र वह केंद्र है जिसमें इतनी सारी प्रजातियां एक साथ पाई जाती हैं। चंडीगढ़ में सन् 1967 में स्थापित डॉ. जाकिर हुसैन रोज गार्डन जो कि 30 एकड़ भू-भाग में फैला हुआ है, का दल ने भ्रमण किया। इस बगीचे में गुलाब के 1600 किस्मों के 50000 पौधे लगे हुए हैं और यह एशिया का सबसे सुंदर बगीचा माना जाता है। साथ ही इसमें 32500 प्रकार के औषधीय पौधों के बारे में भी भ्रमण दल ने आवश्यक जानकारी प्राप्त की। इसी क्रम में दल ने रॉक गार्डन एवं सुखना झील का भी भ्रमण किया और उनकी खूबसूरती को निहारा। डॉ. मोहम्मद ने बताया कि यह तीन दिवसीय भ्रमण विद्र्याथियों को विषय संबंधी जानकारी, देश प्रेम की भावना जागृत कर ऎतिहासिक रुचि को बढ़ाने में निश्चित तौर पर सहायक सिद्ध होगा, ऎसी आशा है। डॉक्टर मोहम्मद ने यह भ्रमण आयोजित करने में विभाग के अन्य साथियों और कॉलेज प्राचार्य दिलीप सिंह पूनिया के प्रयासों को सराहनीय बताया और उनको धन्यवाद ज्ञापित किया, जिनके बिना इतना शानदार भ्रमण संभव नहीं हो पाता।

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