जवाहर कला केन्द्र में ‘जयरंगम‘ का शुभारम्भनाटक सांस्कृतिक महत्व की विधा, हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा-कला, साहित्य और संस्कृति मंत्री

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जयपुर। नाटक सांस्कृतिक महत्व की अनूठी विधा है। संगीत, नाटक और त्यौहारों से जुड़े रीति-रिवाज हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग है। ये विद्याएं और परम्पराएं हमारे देश की विविधतापूर्ण संस्कृति की ताकत है, जिस देश की संस्कृति मजबूत होती है, वह कभी पीछे नहीं रहता। ऎसे में संस्कृति को मजबूत बनाने के लिए सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने में योगदान देना हम सभी का दायित्व है। 
ये उद्गार प्रदेश के कला, साहित्य और संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने शुक्रवार को जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में ‘जयरंगम-जयपुर नाट्य उत्सव‘ के उद्घाटन समारोह के अवसर पर व्यक्त किए। डॉ. कल्ला और मुख्य सचिव श्री डी. बी. गुप्ता ने दीप प्रज्वलित कर गुरूनानक देव के 550वें प्रकाश उत्सव, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तथा देश के जाने माने रंगकर्मी गिरीश कर्नाड की स्मृति को समर्पित ‘जयरंगम‘ के आठवें संस्करण का शुभारम्भ किया।
डॉ. कल्ला ने कहा कि हम जो चीज पढ़कर नहीं सीख सकते उसे नाटकों के माध्यम से देखकर जीवन में उतारा जा सकता है। नाटकों से ही टीवी और सिनेमा में अभिनय करने वाले कलाकार मिलते है। उन्होंने ‘जयरंगम‘ के माध्यम से नाटकों की श्रृंखलाबद्ध प्रस्तुति के आठवें वर्ष के लिए निदेशक श्री दीपक गैरा और पूरी टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए बधाई दीं। मुख्य सचिव श्री डी. बी. गुप्ता ने भी नाटकों के माध्यम से जन चेतना पैदा करने के लिए जयरंगम की टीम और कलाकारों की हौसलाअफजाई की।  
कला साहित्य और संस्कृति मंत्री ने गुरूनानक देव को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने ‘सत्य ही परम धीमहि‘ का संदेश देते हुए इसे जीवन का आधार बताया और सत्य को लोगों के हृदय में बैठाया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा, ‘बुरा मत कहो, बुरा मत सुनो और बुरा मत देखो‘ जैसे संदेशों और जीवन चरित्र को आत्मसात कर हमारी युवा पीढ़ी और बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं। बापू ने अहिंसा के अमोघ अस्त से हमें आजादी दिलाई, आज देश ही नहीं दुनियाभर में उनके जीवन पर लोग रिसर्च कर रहे है। संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्म दिवस को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया है। डॉ. कल्ला ने गिरीश कर्नाड को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके रंगकर्म, सिनेमा, साहित्य और लेखन में योगदान को याद करते हुए कहा कि वे बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे।
इस अवसर पर दानिश इकबाल द्वारा लिखित और निर्देशित ‘दास्तान-ए-गांधी‘ की प्रस्तुति हुई।  दास्तानगो  फौजिया और मोहम्मद फिरोज खान ने बेहद रोचक अंदाज में उर्दू भाषा का उपयोग करते हुए महात्मा गांधी के जन्म और राजनैतिक जीवन से जुड़े किस्सों-कहानियों को सुनाया। इस मौके पर शासन सचिव, स्कूल शिक्षा श्रीमती मंजू राजपाल सहित रंगकर्मी, बड़ी संख्या में कला एवं नाट्य प्रेमी और गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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