खेलों को लेकर अब बदल रहा है राजस्थान : कृष्णा पूनिया

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राज्य क्रीड़ा परिषद की अध्यक्ष पद्मश्री डॉ कृष्णा पूनिया से बातचीत

चूरू। राजस्थान सरकार ने जानी-मानी एथलीट अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता और सादुलपुर विधायक डॉ कृष्णा पूनियां को हाल ही में राजस्थान राज्य क्रीडा परिषद का अध्यक्ष मनोनीत किया है। डॉ कृष्णा इन दिनों अपनी सक्रियता और विकास कार्यों से अलग पहचान बना रही हैं। उनके समर्थकों का दावा है कि सादुलपुर-राजगढ क्षेत्र को डॉ कृष्णा पूनिया ने बदलकर रख दिया है। जो राजगढ़ अपराध और शराब तस्करी से अपनी पहचान रखता था, वहां के लोग समझ रहे हैं कि विधायक अपने क्षेत्र के लिए कितनी संभावनाओं का द्वार होता है। बहरहाल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में राज्य क्रीड़ा परिषद के अध्यक्ष के रूप में नई जिम्मेदारी उन्हें दी है। इस मौके पर उनसे बातचीत की। पेश है बातचीत के अंश :-

एक खिलाड़ी के रूप में आपने देश का नाम रोशन किया, उसके बाद विधायक चुनी गईं और अब आपको राज्य ​क्रीडा परिषद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है, क्या कहना चाहेंगी?

सर्वप्रथम मैं कांग्रेस के नेतृत्व और मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त करना चाहूंगी जिन्होंने मुझ पर भरोसा जताते हुए ये जिम्मेदारी मुझको सौंपी है। खेल मेरे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और सदैव रहेगा, शायद यही देखते हुए मुझे ये जिम्मेदारी सौंपी गई है। मेरी प्राथमिकता यही रहेगी कि राजस्थान के खेलों की पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और बेहतर कर सकूं। इसके लिए प्लानिंग के साथ काम करेंगे, ताकि इसका फायदा प्रदेश के खिलाडियों को मिले।

एक खिलाड़ी के रूप में आपका अनुभव रहा है। क्या लगता है आपको कि किस तरह की समस्याएं आमतौर पर खिलाडियों को फेस करनी पडती हैं। युवा खिलाडियों की समस्याओं के निस्तारण हेतु क्या रोडमैप है?

राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से काफी बडा स्टेट है, और युवाओं का रूझान खेलों के प्रति इतना नहीं रहा, लेकिन वर्ष 2010 के बाद खेल पॉलिसी में बदलाव किया गया। उसके उपरांत युवाओं में उत्साह है। बात पिछले तीन सालों की ही करें तो खिलाडियों के लिए ‘पदक लाओ पद पाओ’ की नीति अपनाई गई। इस योजना के तहत प्रदेश के लगभग समस्त खिलाडियों को नौकरी मिल चुकी है। किसी भी क्षेत्र में बच्चे का भविष्य सुरक्षित दिखाई पड़ता है तो बच्चा उसकी ओर आकर्षित होता है और उसी दिशा में आगे बढने की कोशिश करता है। राजस्थान के लिए जो अहम मुद्दे रहेंगे, उनमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, कोचिंग, टेलेंट और टेलेंट सर्च को लेकर फोकस किया जाएगा। खेलों के विकास को लेकर काफी कुछ बदलाव की जरूरत है। आगामी बजट में हम मुख्यमंत्री जी से आशाएं कर रहे हैं, साथ ही पिछले बजट में खेल से सम्बंधित महत्वपूर्ण घोषणाओं को भी अमलीजामा पहनाना है। मुख्यमंत्रीजी की मंशा के अनुसार हम खेलों को गांव—गांव तक पहुंचाना चाहते हैं ताकि रूरल राजस्थान में छिपी हुई प्रतिभाओं को ढूंढकर तराशा जा सके।

बतौर खिलाडी आपने कभी सोचा होगा कि किस तरह की चीज सरकार की पॉलिसी में होनी चाहिए ताकि खिलाडियों को फायदा हो सके। आज आप पॉलिसी डिसाइड करने में खुद सक्षम हैं। क्या सोचती हैं आप?

देखिए, खेल एक ऐसा विषय है जिसमें कोई आउटपुट है तो वो देश के लिए मैडल जीतना ही है।एक सोशल वर्क टाइप का ये काम है। मुझे लगता है जब तक प्राईवेट सेक्टर इससे नहीं जुड़ेगा, चीजे मुश्किल रहती हैं। खिलाडी होने के नाते जो मैंने महसूस किया वो ये है कि खेल और खिलाडी के मध्य जो समस्याएं आती हैं, वो मुख्य रूप से फाइनेंस और इन्फ्रास्ट्रक्चर की आती है।खिलाडी कोचिंग कहां जाकर करें, कौन उसे कोचिंग देगा, डाइट की भी समस्या रहती है। काफी कुछ समस्याएं बच्चों के समक्ष रहती हैं। मैं मानती हूं कि बहुत जल्दी बदलाव नहीं आ सकता, लेकिन ग्रासरूट लेवल पर जाक महत्वपूण बिंदुओं पर फोकस कर काम करेंगे तो शीघ्र ही बदलाव आने शुरू हो जाएंगे। यूं भी तीन साल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खेलों और खिलाड़ियों के प्रति जो दृष्टिकोण अपनाया है, उससे लग रहा है कि खेलों को लेकर राजस्थान बदल रहा है।

पडौसी राज्य हरियाणा, पंजाब आदि को लेकर यह माना जाता है कि वहां ज्यादा सुविधाएं खिलाडियों को मिल रही हैं, उसकी तुलना में राजस्थान में खेल को आप किस रूप में देखती हैं?

देखिए दोनों ही स्टेट राजस्थान की बनिस्पत छोटे स्टेट हैं और उनकी सरकार पॉलिसी बहुत समय पहले आई। उसमें जो मैंने टेलेंट सर्च की बात कही उसमें, हरियाणा के बच्चों को अगर देखा जाए तो वहां अंडर 14, 16,19 के बच्चों में टेलेंट सर्च करके स्कॉलरशिप की पॉलिसी लाई गई। टेलेंट के अनुसार गांव—गांव तक उन्हे सुविधाएं मुहैया कराई गई, उसी का नतीजा रहा कि खेलों में हरियाणा तरक्की करता गया। बात अगर राजस्थान की करें तो राजस्थान उनसे बडा स्टेट है और हरियाणा से लगते क्षेत्र के युवाओं का खेलों के प्रति काफी रूझान है जबकि अन्य क्षेत्रों में थोडा कम है। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति में भी काफी बदलाव है। कुल मिलाकर हमें प्रदेश की भौगोलिक स्थिति के अुनसार सर्च करना पडेगा कि कौनसे क्षेत्र में किस खेल को प्रमोट किया जा सकता है और उसी के अनुरूप हमें हमारी पॉलिसी डिसाइड करनी पडेगी ताकि खिलाडियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध करवा सकें।

बजट सत्र चल रहा है, प्रदेश का बजट आने वाला है। खेलों को लेकर आपकी चर्चा भी हुई होगी, आपने अपनी बाते भी रखीं होगी। किस तरह की उम्मीद राजस्थान को रखनी चाहिए कि खेलों के लिए क्या नया होगा बजट में ?

जवाब : खिलाडियों के हितों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री महोदय ने सदैव बदलाव की कोशिश की है ताकि खिलाडियों को अधिक से अधिक फायदा मिल सके। हाई परफोर्मेंस सेंटर की सौगात पिछले बजट में दी थी जो एथलीट के करियर और स्पोर्ट्स फैसेलिटिज के लिए अति महत्वपूर्ण होता है। कुछ नई मांगें हमने सरकार के समक्ष रखी हैं, उम्मीद करते है कि आगामी बजट में प्रदेश के खिलाडियों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार हमें सुविधा मुहैया करवाएगी।

राजस्थान के युवा खिलाडी जो खेलों में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए क्या संदेश देना चाहेंगी?

युवाओं को बताना चाहूंगी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सकारात्मक नीतियों के चलते राजस्थान देश का पहला ऐसा प्रदेश है जिसमें राज्य स्तर पर मैडल प्राप्त करने पर भी खिलाडियों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। पूरे देश में किसी भी प्रदेश में ऐसा नहीं है। प्रदेश में पदक लाओं और पद पाओ की नीति के तहत 300 से ज्यादा खिलाडियों को सरकार ने नौकरी दी है। अब हमारे सामने उदाहरण है कि राजस्थान प्रदेश में किस प्रकार खिलाडियों ने खेल को अपने प्रोफेशन के रूप में लिया, नाम कमाया, पैसा कमाया साथ ही अच्छी नौकरी उन्होंने प्राप्त की। सरकारी नौकरी में सरकार ने खिलाडियों के लिए 2 प्रतिशत कोटा रिजर्व किया है तो आप अपनी मेहनत के दम पर खेल ही खेल में अपना फ्यूचर सैट कर सकते हैं। अपना एक लक्ष्य बनाएं और उस पर ध्यान केंद्रित कर उसे पाने के लिए जुट जाएं।

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