सांसद कस्वां ने नियम 377 के तहत उठाया राजस्थान को मिलने वाले पानी का मुद्दा

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चूरू। सांसद राहुल कस्वां ने आज सदन में नियम 377 के तहत पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के बीच हुए जल समझौते के अनुसार राजस्थान को मिलने वाले पानी का मुद्दा उठाया | सांसद श्री राहुल कस्वां ने कहा की पंजाब-हरियाणा एवं राजस्थान के जल समझौते एवं भारत सरकार के निर्णय 1981 के अनुसार सिधमुख नोहर सिंचाई प्रणाली हेतु 0.47 एम.ए.एफ. पानी देना निर्धारित किया गया था, जिसमें से 0.30 एम.ए.एफ. ही राजस्थान को साउथ घग्घर एवं झण्डेवाला वितरिका से उपलब्ध है एवं शेष 0.17 एम.ए.एफ. पानी एक्स नागल राजस्थान को नागल से भाखड़ा मेन लाइन के माध्यम राजस्थान सरकार के संसाधनों से उपलब्ध करवाया जाना था। उक्त भारत सरकार का निर्णय अनुबन्ध 1981 के अुनसार सभी सदस्य राज्यों के लिए बाध्य है। दिनांक 23.07.2007 को केन्द्रीय जल आयोग की अध्यक्षता में हुई बैठक में सुनिश्चित किया कि पंजाब ने बी.एम.एल. की सम्पूर्ण क्षमता सुनिश्चित करने हेतु समस्त कार्य पूर्ण कर लिये है। भाखड़ा व्यास प्रबन्ध निगम द्वारा उक्त प्रकरण भारत सरकार को निर्णय हेतु प्रेषित कर दिया जो कि आवश्यक नहीं था। पानी पंजाब द्वारा समझौते के आधार पर राजस्थान को आवंटित किया गया है। हरियाणा का इस पानी से कोई संबंध नहीं है। राजस्थान सरकार के बार-बार आग्रह के बाद भी हरियाणा के कारण हमें आवंटित शेष 0.17 एम.ए.एफ. पानी नहीं मिल रहा है। सिधमुख, नोहर सिंचाई हेतु 0.47 एम.ए.एफ. पानी आवंटित किया गया, इस पानी के हिसाब से नहर, वितरिका आदि का निर्माण किया गया है, लेकिन शेष बचा हुआ पानी नहीं मिलने के कारण इस क्षेत्र के किसानों में भारी रोष है, वे आन्दोलित है। राजस्थान ने वर्ष 2009 में ही सिधमुख- नोहर परियोजना पूर्ण कर ली है एवं परियोजना के सिंचित क्षेत्र की सिंचाई हेतु पूर्ण क्षमता विकसित कर ली है। वर्तमान में प्रकरण माननीय उच्चतम न्यायालय के पास विचाराधीन है।सांसद कस्वां ने सदन के माध्यम से भारत सरकार का ध्यान आकर्षित किया कि इस प्रकरण का शीघ्र निस्तारण हेतु उच्चतम न्यायालय से अनुरोध करें एवं बी.बी.एम.बी. को राजस्थान के हिस्से का 0.17 एम.ए.एफ. पानी एक्स नागल देने के लिए निर्देषित करें। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि रावी व्यास के आधिक्य पानी से 0.17 एम. ए. एफ. पानी (एक्स नागल) राजस्थान को हरियाणा-राजस्थान सीमा पर आवटित किया जाए।

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