राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति का प्रसार प्रवासियों की प्रमुखता: सरावगी

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प्रयास संस्थान द्वारा किया गया चूरू के संस्कृति-सपूत विनय सरावगी का अभिनंदन

चूरू। राजस्थानी व्यक्ति देश-दुनिया में जहां भी गया है उसकी सदैव प्राथमिकता रही है कि वह अपनी भाषा और संस्कृति को छोड़े नहीं और उसके संवर्द्धन, प्रचार-प्रसार के लिए समुचित काम करे। साथ ही प्रवासी राजस्थानियों की सोच रही है कि वह जहां भी रहे, उस प्रांत, इलाके की बोली और भाषा को भी प्रमुखता देते हुए वहां की संस्कृति के अपनत्व के प्रति भी सचेत रहे और उसमें घुलने-मिलने का प्रयास करें। उक्त विचार झारखंड राजस्थानी एकेडमी के प्रांतीय महासचिव और अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा उद्योगपति विनय सरावगी ने बुधवार को चूरू में प्रयास संस्थान की ओर से आयोजित अपने सम्मान कार्यक्रम में व्यक्त किए। चूरू मूल के रांची निवासी विनय सरावगी ने कहा कि हम प्रवासी अपनी जन्मभूमि और मातृभाषा के विकास के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे हैं। विभिन्न मोर्चों पर हम काम भी कर रहे हैं। राजस्थानी भाषा और राजस्थान हमारा हृदय है, भले ही हमारे हाथ व्यापार के लिए प्रमुखता से आगे बढ़े हों। उन्होंने राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान देने के मुद्दे को जायज बताया और कहा कि अब राजस्थानी को मान्यता मिलनी ही चाहिए।
कार्यक्रम के प्रारंभ में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति तथा सामाजिक सरोकारों में संलग्न स्थानीय प्रयास संस्थान की ओर से विनय सरावगी का शाॅल, साफा पहनाकर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता और सामाजिक कार्यकर्ता रियाजत अली खान एवं साहित्यकार उम्मेद गोठवाल ने भी विचार व्यक्त किए। स्वागत भाषण संस्थान उपाध्यक्ष रामगोपाल ईसराण ने दिया और धन्यवाद संस्थान कोषाध्यक्ष हरिसिंह सिरसला ने व्यक्त किया। संचालन संस्थान अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने किया।

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