पाठक की संवेदनाओं के इर्द-गिर्द है ‘अपने-अपने दर्द’ की कविताएं : ओला

0
1165

सूचना केन्द्र में हुआ सुधीन्द्र ‘सुधी ‘ की ‘अपने अपने दर्द‘‘का लोकार्पण, साहित्यकार बनवारी लाल खामोश, श्री भगवानसैनी, सुरेन्द्र डी सोनी, अरविंद ओला एवं कुमार अजय ने किया कविता संग्रह का लोकार्पण

चूरू। राजस्थानी एवं हिंदी के रचनाकार सुधींद्र सुधी के कविता संग्रह ‘अपने अपने दर्द’ का लोकार्पण गुरुवार को जिला मुख्यालय स्थित सूचना केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में किया गया।

शहर के नामचीन शायर बनवारीलाल शर्मा खामोश की अध्यक्षता में हुए समारोह लोकार्पण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक अरविंद ओला ने कहा कि सुधींद्र शर्मा की कविताओं की संवेदनाएं पाठकों को अपने जीवन के इर्द-गिर्द नजर आती है और इससे बेहतर एक लेखक की कोई सफलता नहीं हो सकती है। उन्होंने सुधीन्द्र ‘सुधी‘ को पुस्तक के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद साहित्य क्षेत्र में कदम रखा और इससे पूर्व एक रंगकर्मी भी रहे हैं। रचनाकार ने ‘‘अपने अपने दर्द‘‘ संग्रह में पाठक और जनमानस की भावनाओं को उकेरा है। यह संवेदनशीलता लेखक में ही हो सकती है कि उनके लेखन में हमें आत्मीयता का अनुभव होता है। उन्होंने कहा कि पुस्तक लेखक को अमर बना देती हैं और पुस्तकें आगामी पीढ़ियों को लाभान्वित करती हैं। किताबें जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए क्योंकि पढ़ने से संतुष्टि का भाव आयेगा।

मुख्य वक्ता ख्यातनाम साहित्यकार प्रो. सुरेन्द्र डी सोनी ने कहा कि संवेदनाओं को सहेजकर रखना ही काव्य है। आज का काव्य आज से सौ वर्ष बाद सार्थक होता है। जब भावी पीढ़ी वर्तमान का काव्य पढ़ेगी तो महसूस करेगी कि हमारे पूर्वज सैंकड़ों वर्ष पूर्व क्या सोचते थी। उन्हें महसूस होगा कि पूर्वजों ने कितनी तपस्या की होगी। प्रत्येक पल में काव्य जन्म लेता है, सिर्फ उस अनुभूति की देर है जब रचनाकार के मन में संवेदनाएं उठें। पुस्तक ‘अपने अपने दर्द’ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन कोरा कागज है, आप इस पर कैसे रंग उकेरेंगे, यह आप पर निर्भर करता है। यह रचना अपनी अनुभूतियों के साथ एक मार्गदर्शन है। इससे आने वाली पीढ़ियां सोचेंगी कि वर्षों पूर्व हमारे पूर्वज क्या सोचते थे।

इस अवसर पर साहित्यकार श्रीभगवान सैनी ने कहा कि संवेदनाओं से भरपूर व्यक्ति की अच्छी रचनाएं कर सकता है। सुधीन्द्र ने अपनी पुस्तक के माध्यम से संवेदनाओं को उकेरने और हमारे सामने लाने का प्रयास किया है। इन्होंने पूरे मनोयोग से शब्दों के माध्यम से संवेदनाओं और दर्द को लिखा है।
अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ लेखक बनवारीलाल शर्मा ‘‘खामोश‘‘ ने कहा कि पुस्तक को पढकर लगा है जैसे वो मेरे स्वयं के शब्द हैं। यह अनुभूति रचनाकार को सार्थक बनाती है। आज के युग में नए रचनाकारों को कविता क्या और कैसे करनी चाहिए के प्रश्न का जवाब खोजने के लिए रचनाओं की विवेचना, कविता की परिभाषा पढ़ते हुए उसकी व्याख्या करनी चाहिए। नौजवानों द्वारा कागज पर लिखी जाने वाली कविताओं का आज के सौ वर्ष बाद मूल्यांकन होगा।
सहायक निदेशक (जनसम्पर्क) कुमार अजय ने स्वागत उद्बोधन दिया। युवा लेखक बुद्धमल सैनी ने आभार जताया। युवा लेखक अनिल रजनीकुमार ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की। संचालन वरिष्ठ साहित्यकार कमल शर्मा ने किया।इस दौरान जिला वक्फ कमेटी के संरक्षक जमील चौहान, एपीआरओ मनीष कुमार, राहुल शर्मा, दीपक कामिल, गीता रावत, विनोद कुमार स्वामी, सुरेन्द्र रोहित, सुशीला प्रजापत, भगवती पारीक, पत्रकार आशीष गौतम, पवन शर्मा, ऋतु निराणियां, दलीप सरावग, राजकुमारी सैनी, मनिष सरिता कुमार, धीरज बंसल, राजेन्द्र सिंह शेखावत, अमित तिवारी, संदीप जांगिड़, संजय जांगिड़, संजय दर्जी, भास्कर, जसवंत सिंह मेड़तिया, रामचंद्र गोयल, मंगेज सिंह, संजय गोयल, बजरंग मीणा, विजय रक्षक सहित अन्य उपस्थित रहे।

CHURU : जिले की पहली आयुर्वेदिक लैब का शुभारंभ, नाड़ी, तरंगणी विधि से होगी स्वास्थ्य की जांच

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here