जिला स्तरीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यशाला का आयोजन

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तम्बाकू नियंत्रण

जन-जागरुकता से बचेगी पैसिव स्मोकर की जान

हनुमानगढ़। सिगरेट में 7000 से ज्यादा हानिकारक रसायन होते हैं, जिनमें से लगभग 70 रसायन कैंसर पैदा करने वाले होते हैं। तम्बाकू के सेवन से वर्तमान में दुनिया भर में प्रत्येक साल 50 लाख लोगों की मौत होती है। सिगरेट पीना जितना खतरनाक है, उससे भी ज्यादा खतरनाक उसके धुएं के सम्पर्क में आना है। धूम्रपान करने वालों और उनके करीब रहने वालों की सेहत पर इससे पडऩे वाले बुरे प्रभावों को देखते हुए सख्त कानूनों को लागू कराने के साथ-साथ लोगों को जागरुक करना भी बेहद जरूरी है। यह बात आज प्रात: एएनएम ट्रेनिंग सैण्टर में आयोजित जिला स्तरीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यशाला में तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य कानूनी सलाहकार हर्षवर्धनसिंह राठौड़ ने कही। कार्यशाला में सीएमएचओ डॉ. अरुण कुमार, आरसीएचओ डॉ. विक्रमसिंह, जिला तम्बाकू कार्यक्रम के नोडल ऑफिसर डॉ. सुरेश चौधरी, उपनियंत्रक डॉ. योगेन्द्र तनेजा, जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रविशंकर शर्मा, सभी खण्डों के बीसीएमओ, बीपीएम, सीएचसी-पीएचसी के चिकित्सा अधिकारी एवं कई कार्यक्रमों के कंसलटेंट उपस्थित थे।
हर्षवर्धनसिंह राठौड़ ने बताया कि तम्बाकू देश में लाखों की लोगों की मौत का कारण बनता जा रहा है। इसके दुष्प्रभावों को जानने के बावजूद भी लोग इसका सेवन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तम्बाकू के सेवन से वर्तमान में दुनिया भर में प्रत्येक साल 50 लाख लोगों की मौत होती है। इसी तरह, भारत में दस लाख से अधिक व राजस्थान में 50 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु तम्बाकू के सेवन से हो रही है। मृत्यु के इन आंकड़ों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है, क्योंकि तम्बाकू का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। राजस्थान के 74.3 प्रतिशत घरों में तम्बाकू का सेवन किया जाता है और यहां हर दूसरा व्यक्ति तम्बाकू के दुष्प्रभावों से ग्रस्ति है। राज्य में 17 वर्ष का हर तीसरा व्यक्ति तम्बाकू का सेवन कर रहा है। उन्होंने उपस्थित डॉक्टरों से कहा कि लोगों को तम्बाकू के दुष्प्रभावों के बारे में बताने के लिए हम सब को अपने-अपने स्तर से प्रयास करने होंगे। तम्बाकू की लत सिर्फ पुरुषों में ही नहीं, बल्कि महिलाओं और लड़कियों में भी फैल रही है। धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बांझपन से जूझने की भी संभावना होती है। सिगरेट का एक कश लगाने पर सात हजार से अधिक रसायन सम्पूर्ण शरीर और अंगों में फैल जाते हैं। इससे अंडोत्सर्ग की समस्या, जनन अंगों का क्षतिग्रस्त होना, अंडों को क्षति पहुंचना, समय से पहले रजोनिवृत्ति और गर्भपात की समस्या पैदा होती है। हमें अपने चिकित्सा संस्थानों में तम्बाकू सेवन करने वालों की काउंसलिंग कर उन्हें इसके हानिकारक प्रभावों की जानकारी देनी होगी। उन्हें उनके परिवार व सदस्यों द्वारा मार्मिक अपील कर तम्बाकू का सेवन नहीं करवाने के लिए भी प्रेरित करना होगा।

धूम्रपान मुक्त हो चिकित्सा परिसर

श्री राठौड़ ने कहा कि हमें सबसे पहले अपने चिकित्सा संस्थान को तम्बाकू मुक्त करना होगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों की तरह अब चिकित्सा संस्थान व उसके आस-पास का क्षेत्र भी धूम्रपान वर्जित रहेगा। यदि कोई ऐसा करता पाया गया, तो उससे 200 रुपए तक का जुर्माना चिकित्सा अधिकारी द्वारा वसूला जाए। इसी तरह चिकित्सा संस्थान के 100 गज के दायरे में किसी भी प्रकार का धूम्रपान का सेवन और बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित होगी। इस पर नियंत्रण के लिए हमें धारा-4, धारा-5, धारा-6 (ए), धारा-6 (बी), धारा-7 व धारा-8 के तहत कार्यवाही कर सकते हैं।

पैसिव स्मोकर को भी बचाएं

राठौड़ ने कहा कि सिगरेट पीना जितना खतरनाक है, उससे भी ज्यादा खतरनाक उसके धुएं के सम्पर्क में आना है। ऐसे व्यक्तियों को पैसिव स्मोकर (अप्रत्यक्ष धू्रमपान) कहा जाता है। धूम्रपान करने वालों के करीब रहने से पैसिव स्मोकर की सेहत पर तम्बाकू से हानिकारक दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भी बहुत से लोग इसके दुष्प्रभावों से अंजान है। हमें लोगों को जागरुक करना होगा कि धूम्रपान करने वालों से दूरी बनाएं रखें। यही नहीं, कॉलेज, स्कूल और जगह-जगह तम्बाकू के साइड इपेक्ट्स को लेकर अभियान चलाने चाहिए, ताकि लोगों को जागरुक किया जा सके। तम्बाकू में आए दिन होने शोधों व दुष्प्रभावों की जानकारी नई पीढ़ी तक पहुंचाने की कोशिश करनी होगी, जिससे उन्हें तम्बाकू की लत से बचाया जा सके।

जिले में हो रहे हैं तम्बाकू निषेध कार्यक्रम

कार्यशाला में सीएमएचओ डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से सभी सरकारी कार्यालयों को तम्बाकू निषेध क्षेत्र घोषित करने को लेकर निर्देश जारी किए हुए है। इसके लिए अधिकांश कार्यालयों में तम्बाकू सेवन निषेध क्षेत्र के बोर्ड भी लगाए गए है। वहीं जिला स्तर पर तम्बाकू का सेवन करने वालों से जुर्माना वसूलने को लेकर भी निर्देश जारी किए गए है। इसके अलावा हनुमानगढ़ में ‘कशिश की कोशिशÓ अभियान के द्वारा भी स्कूलों में जन-जागरुकता कार्यक्रम चलाए गए हैं, जिसकी राज्य स्तर पर काफी प्रशंसा की जा रही है। डॉ. सुरेश चौधरी ने कहा कि विभाग की ओर से कोटपा एक्ट के तहत चिकित्सा संस्थानों के आस-पास संचालित हो रही दुकानों का निरीक्षण किया जाएगा। अगर इस दौरान सौ गज के अंदर संचालित हो रही दुकान में तम्बाकू उत्पाद विक्रय के रखे जाते हैं, तो संबंधित दुकानदारों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। कार्यशाला में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रविशंकर शर्मा ने भी तम्बाकू के कारण बढ़ रही टीबी के बारे में जानकारी दी।

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