सरकार वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने से पहले केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड यानी सीबीईसी का नाम बदलने जा रही है। नई परोक्ष कर प्रणाली में इसका नाम केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) किया जाएगा। जीएसटी को पहली जुलाई से लागू किया जाना है।
इस बारे में वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विधायी मंजूरी मिलने के बाद सीबीईसी का नाम सीबीआईसी कर दिया जाएगा। सीबीआईसी अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों, निदेशालयों के काम की निगरानी करेगा। सरकार को जीएसटी के मामले में नीति बनाने में मदद करेगा। वह केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क लगाने संबंधी काम को भी जारी रखेगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी पर अमल के सिलसिले में सीबीईसी के सभी जमीनी स्तर पर काम करने वाले प्रतिष्ठानों के पुनर्गठन को पहले ही मंजूरी दे दी है। सीबीईसी के तहत मौजूदा सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स से जुड़े प्रतिष्ठानों का पुनर्गठन कर उन्हें जीएसटी कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए तैयार किया जा रहा है।
नए नाम वाले जीएसटी महानिदेशालय को मजबूत बनाया जा रहा है। इसका विस्तार किया जा रहा है, ताकि कर चोरी रोकने और काले धन के खिलाफ लड़ाई में इसे एक अहम विभाग बनाया जा सके। जीएसटी लागू होने से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसटी) में दो फीसद तक बढ़ोतरी होने की उम्मीद की जा रही है।
इसके साथ ही जीएसटी से कर चोरी पर अंकुश लगने और सामान सस्ता होने की भी उम्मीद है। जीएसटी में सभी केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर जैसे उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाले वैट व स्थानीय शुल्क सभी समाहित हो जाएंगे। इसके तहत अप्रत्यक्ष कर प्रशासन के देशव्यापी ढांचे के जरिये सभी करदाताओं को सेवाएं दी जा सकेंगी।
एक दमदार आईटी नेटवर्क के लिए सीबीईसी के तहत सिस्टम महानिदेशालय को मजबूत बनाया जा रहा है। अधिकारियों कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए मौजूदा प्रशिक्षण प्रतिष्ठान का भी नाम बदलकर राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर एवं नारकोटिक्स अकादमी किया जा रहा है।
इसकी मौजूदगी पूरे देश में होगी। यह केंद्र के साथ-साथ राज्यों के अप्रत्यक्ष कर प्रशासन के कर्मियों में क्षमता निर्माण का काम करेगा। साथ ही व्यापार और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को भी ट्रेनिंग प्रदान करेगा।