भारतीय भाषा परिषद की ओर से कोलकाता में हुआ सम्मान समारोह,
राजस्थानी कथा संग्रह ‘लेबल’ के लिए हुए सम्मानित
कोलकाता। भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता की ओर से शनिवार को कोलकाता में हुए समारोह में चूरू जिले के चर्चित युवा कथाकार उम्मेद धानिया को परिषद के प्रतिष्ठित युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पश्चिम बंगाल हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश चित्ततोष मुखर्जी की अध्यक्षता एवं साहित्य अकादेमी अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, बांग्ला के प्रख्यात साहित्यकार शीर्षेंदु मुखोपाध्याय के आतिथ्य में हुए समारोह में हिंदी के प्रख्यात आलोचक डाॅ शंभूनाथ शुक्ल ने धानिया को यह पुरस्कार प्रदान किया। राजस्थानी कथा संग्रह ‘लेबल’ के लिए धानिया को मिले इस पुरस्कार स्वरूप उन्हें इक्कीस हजार रुपए नकद, शाॅल, श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि बांग्ला के शीर्षस्थ साहित्यकार शीर्षेंदु मुखोपाध्याय ने कहा कि देश को समृद्ध करने के लिए यहां की समस्त भाषाओं को समृद्ध करना जरूरी है और भारतीय भाषा परिषद विभिन्न भाषाओं के युवाओं को सम्मानित कर यह काम बखूबी कर रही है। उन्होंने कहा कि साहित्य में युवाओं को आगे बढाना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यही युवा लंबे समय तक काम करते हुए साहित्य को समृद्ध करेंगे। साहित्य अकादेमी अध्यक्ष डाॅ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि सभी लोग अपनी विवशताओं को महसूस करते हैं लेकिन साहित्यकार वह व्यक्ति होता है, जो अपनी अभिव्यक्ति की समस्याओं को सुलझा लेता है। डाॅ शंभूनाथ शुक्ल ने कहा कि तमाम अपमान के बावजूद लेखक अपनी रचनात्मकता बचाए हुए हैं और लिख रहे हैं, यह बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि रचनात्मक और कट्टरता परस्पर सबसे बड़े शत्रु हैं।
अभिनंदन से अभिभूत राजस्थानी के युवा साहित्यकार उम्मेद धानिया ने कहा कि वे अपने शौक अथवा समय व्यतीत करने के लिए नहीं लिखते हैं, अपितु उन्हें वंचित व दलित लोगों के संघर्ष को आवाज देकर एक सुकून मिलता है। उन्होंने अपने संघर्ष और अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि वे ऐसे परिवेश में पले-बढे हैं, जहां लिखना तो दूर, पढाई करना भी बहुत महत्वपूर्ण बात है।
समारोह के दौरान विश्वनाथ प्रसाद तिवारी एवं रामकुमार मुखोपाध्याय को समग्र कृतित्व सम्मान एवं तेलुगु के बाल सुधाकर मौलि, असमिया के शोध सहायक संजीव पाल डेका एवं हिंदी के साहित्यकार प्रो. आशुतोष को भी युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस दौरान प्रवासी उद्यमी शांतिलाल वैद, नरेंद्र कुमार धानुका, साहित्यकार दुलाराम सहारण सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं गण्यमान्य नागरिकगण मौजूद थे।
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