संभाग स्तरीय नेशनल फॉक फेस्टिवल : विलुप्त लोक कलाओं के संरक्षण का गौरवपूर्ण प्रयास

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राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करने का प्रेरक आयोजन, कलाकरों ने दी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, बिखरे लोकरंग

चूरू। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर एवं नेहरू युवा केंद्र चूरू के तत्वावधान में विलुप्त हो रही पारंपरिक कलाओं के संरक्षण हेतु शनिवार को जिले के सरदारशहर स्थित श्रीमती कमला देवी गौरी दत्त मित्तल महिला महाविद्यालय में एकदिवसीय राष्ट्रीय लोक कला उत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन में अतिथियों ने युवाओं को संबोधित करते हुए राजस्थान की संस्कृति एवं गौरवशाली परंपरा को जानने एवं अपनाने का आह्वान किया।इस अवसर पर जिला युवा अधिकारी मंगल जाखड़ ने विकास और विरासत की बात करते हुए राजस्थान की समृद्ध लोक संस्कृति व उसकी सामाजिक प्रासंगिकता को समझने के लिए युवाओं से विकसित भारत के साथ-साथ विरासत के संरक्षण के साथ विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान देने हेतु प्रेरित किया।प्राचार्य डॉ मृत्युंजय पारीक ने लोक कलाकारों एवं अतिथियों का स्वागत करते हुए कला एवं संस्कृति से छात्रों को जुड़ने के लिए प्रेरित किया।कार्यक्रम में विलुप्त लोक कला की श्रृंखला में प्रस्तुति देते हुए जैसलमेर के दल ने मोरचंग, अलगोजा एवं भपंग जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों का वादन कर सबका मन मोहा। बीकानेर से आए दल ने रमत लोक नृत्य की प्रस्तुति की। सिकराली से आए दल ने डेरु नृत्य की प्रस्तुति दी । सरदारशहर के दल ने डफ व बांसुरी की प्रस्तुति दी।जिला युवा अधिकारी जाखड़ ने बताया कि यह कार्यक्रम विलुप्त हो रही लोक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आयोजित किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत राजस्थान के वाद्य यंत्र अलगोजा, मोर जंग सहित विभिन्न नृत्य कलाओं को युवा पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने माय भारत पोर्टल सहित विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। जिला सलाहकार समिति युवा कार्यक्रम नेमचंद ने कार्यक्रम की उपयोगिता की जानकारी दी। रचना कोठारी ने छोटे-छोटे नियमों की पालना कर अपने भविष्य को सुरक्षित एवं सवंर्धित करने के विषय में बताया। कार्यक्रम में जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, नागौर सहित राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए लोक कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी तथा राजस्थान की लोक कलाओं को प्रत्यक्ष साकार किया। एनएसएस प्रभारी सुदर्शन गोयल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन अशोक भोजक ने किया।

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