झींगा पालन बदल सकता है चूरू के किसानों की तकदीर

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जिला कलक्टर साँवर मल वर्मा ने खारिया गांव में झींगा मछली फॉर्म पौंड का किया निरीक्षण

चूरू। जिला कलक्टर साँवर मल वर्मा ने बुधवार को नजदीकी गांव खारिया में झींगा मछली पालन के लिए बनाए गए फार्म पौंड का निरीक्षण किया और क्षेत्र में हो रही इस गतिविधि पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि खेती-बाड़ी के लिए प्रतिकूल खारे पानी में झींगा पालन कर चूरू के किसानों ने यहां नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।  जिला कलक्टर ने खारिया गांव में रियाजत खान के फार्म पौंड पर झींगा पालन का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने झींगा मछली पालन की पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकरी ली और कहा कि यह अच्छी बात है कि रेतीले धोरों के लिए मशहूर चूरू अब झींगा मछली पालन के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। जिले में बड़ी संख्या में किसानों ने अपने खेतों में झींगा पालन शुरू किया है, जो अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। झींगा पालन से जुड़े रियाजत खान ने बताया कि चूरू जिले की झींगा मछली आस्ट्रेलिया, अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों में एक्सपोर्ट की जा रही है और अपनी बेहतर गुणवत्ता के चलते खूब पसंद की जा रही हैं। प्रोटीन, विटामिन और न्यूट्रीशंस से भरपूर झींगा मछली में ओमेगा-3 पाया जाता है और इसे पोषण से भरपूर माना जाता है। उन्होंने बताया कि शुरुआती एक-दो सीजन में किसानों को थोड़ा जोर आता है लेकिन बाद में कम लागत में अच्छी पैदावार मिलने लगती है। जिले में सैकड़ों किसान इससे जुड़े हैं और सभी अच्छी आय ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि झींगा पालन के लिए देखरेख बहुत महत्त्वपूर्ण है और मछलियों को पूरी ऑक्सीजन व पोषण के लिए करीब 18 घंटे एरियेटर चलाना पड़ता है। एरिएटर से पानी घूमता है और मछलियों को ऑक्सीजन मिलती है। झींगा मछलियों को ऑक्सीजन के लिए एरिएटर चलाने में बिजली या डीजल के खर्चे को देखते हुए रियाजत खान ने अपने खेत में ऑक्सीजन प्लांट ही लगा दिया है, जिसमें एरिएटर के मुकाबले खर्च कम आता है। उन्होंने बताया कि ये मछलियां अपने वजन के अनुसार 180 रुपए किलो से 600 रुपए किलो तक के भाव बिक जाती है। झींगा मछली का आकार जितना बड़ा होता है, गुणवत्ता उतनी ही बेहतर मानी जाती है। झींगा के लिए सीड, फीड आदि आपूर्ति किसानों को खेत पर ही हो जाती है तथा उत्पादित झींगा को यहां आकर कंपनियां ले जाती हैं, जिसके चलते किसानों को काफी सुविधा रहती है। उन्होंने बताया कि रेतीली भूमि और पानी की कमी के कारण चूरू मछली पालन की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है लेकिन यहां के पानी व मिट्टी की जांच में यह सामने आया है कि झींगा पालन के लिए यह काफी उपयुक्त है। इस दौरान सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय, किशन उपाध्याय, आमिर खान सोनू आदि भी मौजूद थे।

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