सहकारी संस्थाओं के संचालक मण्डल में चुनाव के लिए शैक्षणिक योग्यता हुई निर्धारित
जयपुर। राजस्थान भारत का पहला प्रदेश है, जिसने सहकारी समितियों के चुनाव में शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान किया है। इसके लिए 10 जुलाई, 2017 को राजस्थान सहकारी सोसायटी नियम, 2003 में आवश्यक संशोधन कर दिए गए हैं। यह जानकारी मंगलवार को सहकारिता एवं गोपालन मंत्री अजय सिंह किलक ने दी। उन्होंने बताया कि अब संचालक मण्डल के सदस्यों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य होगी, ताकि सहकारिता क्षेत्र में शिक्षा का लाभ मिल सके तथा उनका प्रबंधन दक्ष हाथों में सौंपा जा सके। उन्होंने बताया कि नियमों में संशोधन से राज्य की लगभग 10 हजार सोसायटियों को लाभ मिलेगा।
श्री किलक ने बताया कि प्राथमिक डेयरी सोसायटियों, बुनकर सोसायटियों तथा महिलाओं की सोसायटियों के संचालक मण्डल में सदस्य चुने जाने के लिए पांचवी कक्षा पास होने की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की है। जबकि प्राथमिक कृषि साख सोसायटियों, फार्मिंग सोसायटियों, कंज्यूमर सोसायटियों, गृह निर्माण सहकारी सोसायटियों, अरबन बैंक, प्राथमिक भूमि विकास बैंक, क्रेडिट सोसायटियों, सैलेरी अर्नर्स सोसायटियों, सहकारी यूनियन या सभी केन्द्रीय या अपेक्स कोऑपरेटिव सोसायटियों के लिए आठवी कक्षा पास होने की योग्यता निर्धारित की है। सहकारिता मंत्री ने बताया कि नियमों में विशिष्ट वर्गों की सोसायटियों का निर्वाचन राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के स्तर से करवाने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि इसमें सभी अपेक्स सहकारी संस्थाओं, सभी केन्द्रीय संस्थाओं, प्राथमिक कृषि साख सोसायटियों, फार्मर सर्विस सोसायटियों, प्राथमिक भूमि विकास बैंकों, अरबन कोऑपरेटिव बैंकों, कन्ज्यूमर कोऑपरेटिव सोसायटियों, डेयरी समितियों, बुनकर समितियों, गृह निर्माण सहकारी समितियों, क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों, ऎसी सभी सोसायटियां जिनमें पांच लाख रुपये या इससे अधिक की हिस्सा राशि है तथा वे समितियां जिनके संबंध में समय-समय पर राज्य सरकार आवश्यक समझे को सम्मिलित किया गया है। उन्होंने बताया कि शेष सोसायटियां अपने स्तर से संस्था की साधारण सभा में संचालक मण्डल का निर्वाचन करवा सकेंगी।
प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता अभय कुमार ने बताया कि सहकारी संस्थाओं की कार्यप्रणाली में शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए उनके संचालक मण्डल के निर्वाचन हेतु शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान नियमों में किया गया है। सोसायटियों में राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण द्वारा तथा संस्था के स्वयं के स्तर से करवाए जाने वाले निर्वाचन हेतु प्रक्रिया को भी नियमों में निर्धारित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस निर्णय से सहकारी समितियों में पारदर्शी एवं लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचन संभव हो सकेगा। रजिस्ट्रार, सहकारिता राम निवास ने बताया कि सहकारी सोसायटियों में संचालक मण्डल के सदस्यों के निर्वाचन के संबंध में नियमों में संशोधन किया जा चुका है, जो 10 जुलाई से लागू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सहकारी निर्चाचन प्राधिकरण को प्राथमिकता से नए नियमों के आधार पर निर्वाचन कलैण्डर जारी किये जाने के लिए लिखा जा रहा है। ताकि राज्य में सहकारी संस्थाओं में चुनाव नए नियमों के अधीन शीघ्र कराए जा सकें।
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