राम भरत की तरह होना चाहिए भाई-भाई में प्रेम_ कृष्णानंद महाराज

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सरदारशहर। शहर के रीको इंडस्ट्रीज एरिया में आयोजित की जा रही जैसनसरिया परिवार के द्वारा राम कथा में छठे दिन शुक्रवार को श्री रामचरित मानस पारायण पाठ में व्यासपीठ से रतनगढ़ के कृष्णानन्द महाराज व प्रदीप पारुल आत्रेय ने भरत मिलाप का परम पवित्र चरित्र सुनाते हुये कहा कि भाई भाई के बीच में कैसा प्रेम होना चाहिए यह भरत और राम से हमें सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के दौर में भाई-भाई एक दूसरे को नहीं चाहते हैं। लेकिन यदि हम राम और भरत को देखते हैं तो भारतीय संस्कृति पर हमें गर्व होता है कि भाई हो तो भरत जैसा। भाई-भाई मैं कैसा प्रेम और आपसे समर्पण होना चाहिए यह हमें रामायण सिखाती है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण ने अपना संपूर्ण जीवन बड़े भाई की सेवा में समर्पित कर दिया। भरत जी अयोध्या के वैभव का त्याग कर जंगल में जाकर भगवान राम की चरण पादुका लेकर उन्हें सिंहासन पर विराजमान कर देते हैं और स्वयं एक एक सेवक की तरह आज्ञा पालन करते हुए उस पादुका को ही भगवान राम का स्वरूप मानकर के उनकी सेवा पूजा करते रहे। राम और भरत दोनों भाई एक दूसरे के लिए संपत्ति और सुखों का त्याग करने के लिए उद्यत थे और विपत्ति को अपनाना चाहते थे। अयोध्या के महाराज्य का त्याग राम ने भी किया और भरत ने भी, यही भ्रातृ प्रेम है। कथा में शिवशंकर सुरेंद्र कुमार जैसनसरिया, विधायक अनिल शर्मा, मुखराम नाथोलिया, अजय चौधरी, संजय शर्मा, अंजनी कुमार, योगेश कुमार जैसनसरिया, केशरीचंद शर्मा, भरत चौधरी, जनक लाल धादिच, शंकर लाल सोनी, हंसराज कम्मा, पंकज मित्तल, बजरंग लाल डिडवानिया, धनराज सैनी, कमल स्वामी, महावीर उपाध्याय, ललित जैसनसरिया आदि उपस्थित रहे।

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