परंपरागत रूप से मनाया श्रावणी उत्सव व रक्षा बंधन पर्व

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ऋषिकुल ब्रह्मचर्य आश्रम में श्रावणी उपाकर्म में गूंजे मंत्र, बहनों की दिनभर रही आवाजाही, आज भी बंधेगी राखी

चूरू। गुरुवार को पूर्णिमा होने से इस बार मनाएं जा रहे दो दिवसीय रक्षा बंधन के पहले दिन बुधवार को अंचल में रक्षा बंधन पर्व परंपरागत रूप से मनाया गया। चूरू के ऋषिकुल ब्रह्मचर्य आश्रम में श्रावणी कर्म पर गूंजे मंत्रों के साथ ही यज्ञोपवित पूजन हुआ तथा ऋषि पूजन किया गया।

श्रावणी पूर्णिमा को लेकर सुबह से घरों में चहल-पहल शुरू हो गई। घर-घर सूण मांडने का सिलसिला शुरू हो गया। घर के मुख्य द्वार से लेकर रसोईघर, पूजा घर सहित कमरों के द्वार पर घर परिवार के सदस्यों व मातृशक्ति ने ऊॅं, स्वस्तिक, राम-कृष्ण और पक्षियों तथा पेड़ – पौधों की सुक्ष्म चित्र सूण के रूप में सजाए। व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर सूण मांगे तथा मुहूर्त अनुसार घरों व प्रतिष्ठानों में सूण की पूजा कर रक्षा सूत्र अर्पित कर सुख समृद्धि और धन-धान्य की मंगलकामनाएं की।

हालांकि रक्षा सूत्र बांधने का मुहूर्त रात्रि 9 बजे से था लेकिन बहनों की आवाजाही सुबह से शुरू हो गई। समयानुसार बहनों ने भाइयों के राखी बांधी और उन तक पहुंचाई। नन्हीं मुन्नी बेटियों ने अपने नन्हें मुन्ने भाई के राखी बांधी तो दोनों चहक उठें। बड़ी बहनों ने अपने छोटे भाई के राखी बांधकर लाड़-प्यार किए और आशीर्वाद दिया तो छोटी ने अपने बड़े भाई-भाभी के रक्षा सूत्र बांधा तो उनके चेहरे खिल उठे। भाई-भाभी ने बहन का खूब लाड़-चाव किया और आशीर्वाद दिया।

किया ऋषि पूजन, मनाया संसकृत दिवस

अंचल में यज्ञोपवित बदलने कश्रआवणई उत्सव श्रावणी कर्म की परंपरा का बखुबी निर्वहन किया गया। चूरू के ऋषिकुल ब्रह्मचर्य आश्रम में यज्ञोपवित धारण करनेवालों ने पूजन में भाग लिया। आचार्य महेश शर्मा ने मंत्र आदि के साथ विधिपूर्वक समुद्र पूजन व यज्ञोपवित पूजन संपन्न करवाया। पूजन में योगेश गौड़, महेन्द्र शर्मा, दिनेश शर्मा, बालकिशन बावलियां, महेश मिश्र, कालूराम महर्षि, नीरज गौड़, घनश्याम शर्मा, भोलाराम शर्मा, सूर्य प्रकाश शर्मा, योगेश शर्मा, पंकज शर्मा, जय प्रकाश शर्मा व आश्रम के ब्रह्मचारी आदि शामिल रहे। इसी क्रम में आश्रम में ऋषि पूजन किया गया तथा संस्कृत दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में पण्डितों व आचार्यों ने संस्कृत और संस्कृति पर विस्तृत चर्चा की। वक्ताओं का कहना था संस्कृत ऐसी भाषा है जिसने दुनिया को जुबान दी। सब भाषाओं की जननी है संस्कृत इसलिए इसके बिना ज्ञान और विज्ञान को अधुरा माना गया है। वक्ताओं ने युवाओं से संस्कृत सीखने का आह्वान किया और कहा यदि आप संस्कृत सीख गए तो उन्नति आपका हाथ थाम लेगी।

बसों में बहन-बेटियों की रही भीड़

रक्षा बंधन पर राजस्थान रोडवेज की बसों से निशुल्क यात्रा की व्यवस्था रही। अपने भाइयों के राखी बांधने के लिए आवाजाही करनेवाली बहनों की बसों में खूब भीड़ रही। जिन मार्गों पर रोडवेज बसों का संचालन कम था वहां बहनों ने शुल्क देकर निजी बसों से यात्रा की। रक्षा सूत्र बांधने का सिलसिला गुरुवार को भी जारी रहेगा।

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