मंगलवार को ग्रिड काउंसिल के कार्यकारी निदेशक महामारी विशेषज्ञ डॉ. ए. महोपात्रा पूछे डॉक्टर से ऑनलाइन चिकित्सीय संवाद श्रंखला में जनता से जुड़े। बतौर सामुदायिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ.महोपात्रा ने जनता महामारियों को इतिहास और कोराना के बारे में सटीक जानकारी दी।
अलवर! अलवर पुलिस और राजस्थान पुलिस की पहल पर ‘पूछे डॉक्टर सेÓ ऑनलाइन सैशन 3 मई से आयोजित किया जा रहा है। इस सैशन का प्रमुख उद्देश्य जनता में कोरोना और लॉकडाउन को लेकर फैल रही भ्रांतियों को दूर करना है। इस सैशन के दौरान गहलोत सरकार द्वारा शुरू की गई ई संजीवनी एप के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। डॉ. महोपात्रा ने कहा कि बीमारी तेजी से फैलने के दौरान जब बहुत से लोग इसकी चपेट में आते हैं तो इसे सामाजिक स्तर पर फैलने से रोकने के उपाय खोजे जाते हैं। नीति आयोग के साथ जुड़कर डॉ.ए महोपात्रा इन दिनों कोरोना महामारी को रोकने के उपाय खोजने और इसकी रोकथाम के प्रयास में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि
जो भी महामारी पिछले 100 से 150 सालों में आई है वह सर्दी, खासी, जुकाम आदि लक्षणों के साथ आती है। उन्होंने कहा कि कोराना महामारी की रोकथाम के लिए इस बार सबसे अहम यह है कि हमारे पास इसकी जानकारी है और वैक्सीन है। वैक्सीन लगने से इसे रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना के मरीजों में केवल 15 परसेंट ऐसे रोगी होते हैं जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत होती है।समझे कोरोना को: उन्होंने कहा कि चीन में यह वायरस पेंगोलिन (चींटीखोरा) के जरिए फैली। उन्होंने कहा कि जब भी किसी जानवर से वायरस अगर इंसान में आए तो यह खतरनाक श्रेणी होती है। ऐसे में यह बूचडख़ाने के जरिए तेजी से फैलती है। उन्होंने कहा कि अब कुत्तों, और टाइगर में भी कोरोना के लक्षण पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जानवर और पक्षियों के नजदीक जाते समय हमें मास्क और ग्लब्स पहनने की आवश्यक पहनें। उन्होंने कहा कि कोराना की पहली लहर में एयरपोर्ट और लैंड बॉर्डर को सीज कर संक्रमण को रोकने का प्रयास किया।
लॉकडाउन की जरूरत क्यों: डॉ.महोपात्रा ने कहा कि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन की जरूरत है। पहली लहर में हमारे पास ज्यादा जानकारी नहीं थी तो देश में कोरोना रोकने के लिए हमने मेडिकल बुनियादी संरचना को जुटाया। आर्थिक स्थितियों की गिरावट को रोकने के लिए हमने लॉकडाउन हटाया। उन्होंने कहा कि हमारी जनसंख्या इस महामारी रोकने में बाधक है। डॉ.महोपात्रा ने कहा कि देश में फॉर्मा और नॉन फॉर्मा क्षेत्र में काफी काम किया गया।
डबलिंग रेट क्या है: जब किसी महामारी केस लगातार आ रहे हो और यह देखना कि किस क्षेत्र में किसी से दूसरे व्यक्ति में कितने दिनों में वायरस पहुंचा, इसका शोध ही डबलिंग रेट कहलाती है।
मास्क क्यों है जरूरी है: जब हम बात करते हैं तो हमारे मुंह से कुछ पार्टिकल निकलते हैं तो वह छह फीट दूरी से ज्यादा नहीं जाते हैं। इसलिए संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से संक्रमित होने का प्रतिशत कम हो जाता है। दो लोग अगर मास्क पहने हैं तो संक्रमण की संभावना काफी घट जाती है। इसलिए इस बीमारी में मास्क लगाने, हाथ धोने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
कमरा हवादार हो: उन्होंने कहा कि बंद कमरे में संक्रमित व्यक्ति है तो वहां से फैलने की संभावना ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अगर आप किसी कमरे में है जहां पर वैनटीलेशन अच्छा होगा तो संक्रमण फैलने की संभावना कम होगी।
एन 95 नॉर्मल लोग इस्तेमाल नहीं करें: उन्होंने कहा कि डबल मास्क पहने। उन्होंने कहा कि एन-95 मास्क केवल स्वास्थ्य सेवा और फ्रंटलाइन वारियर्स के लिए अति आवश्यक है। अगर आप किसी गंभीर रोग से ग्रस्त हैं तो आपको एन-95 जरूरी है।
मास्क पहनने का तरीका सीखें, अदला बदली नहीं करे: डॉ.महोपात्रा ने कहा कि मास्क ऐसे पहने की नाक और मुंह ढंका रहे। इसके साथ ही उसके लूप्स कसे रहने चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आप कपडे का मास्कर का यूज कर रहे हैं, उसे धोकर, धूप में सुखा कर और प्रेस कर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
साबुन-पानी असरकारक है, सैनेटाइजर के पीछे नहीं भागे: उन्होंने कहा कि साबुन और पानी से हाथ धोने से फायदा होता है। सैनेटाइजर का उपयोग वहीं करे जहां पर आपको पानी और साबुन उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना की वैक्सीन की पहली डोज आपके शरीर को खतरे से लडऩे के लिए तैयार करती है और दूसरी डोज जिसे बूस्टर डोड कहते है वह शरीर को याद रखवाती है कि कोरोना वायरसअगर शरीर में आया तो उससे लडऩा है।
कोरोना वैक्सीन जल्दी कैसे आ गई: डॉ.महोपात्रा ने कहा कि रिसर्च के साथ प्रशासनिक तालमेल के कारण यह संभव हो सका है इसलिए वैक्सीन पर शक नहीं करें। उन्होंने कहा कि देश में वैक्सीन क्षेत्र में पिछले 100 सालों से काम हो रहा है इसलिए भारतीय वैक्सीन पर शक करना गलत है।