मोहन आलोक को कन्हैयालाल पारख राजस्थानी साहित्य पुरस्कार

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चूरू के प्रयास संस्थान की ओर से दिया जाएगा इक्यावन हजार रुपए का पुरस्कार,
राजस्थानी कविता के बड़े हस्ताक्षर हैं मोहन आलोक

चूरू। आधुनिक राजस्थानी कविता के सशक्त हस्ताक्षर, प्रखर कथाकार, मूर्धन्य विद्वान श्रीगंगानगर निवासी मोहन आलोक को प्रयास संस्थान, चूरू की ओर से वर्ष 2020 का कन्हैयालाल पारख राजस्थानी साहित्य पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। राजस्थानी साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए उन्हें यह पुरस्कार दिया जाएगा।
प्रयास संस्थान के अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने बताया कि इस वर्ष चूरू में आयोजित पुरस्कार समारोह में मोहन आलोक को पुरस्कार स्वरूप इक्यावन हजार रुपए, शाॅल, श्रीफल, मान पत्र देकर पुरस्कृत किया जाएगा। संस्थान सचिव कमल शर्मा ने बताया कि चूरू मूल के कोलकाता प्रवासी रतनलाल पारख के सौजन्य से उनके पिता की स्मृति में यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। वर्ष 2017 के लिए यह पुरस्कार राजस्थानी के मूर्धन्य लेखक उदयपुर निवासी राजस्थानी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डाॅ देव कोठारी को प्रदान किया गया था, वहीं 2018 के लिए यह पुरस्कार आधुनिक राजस्थानी कविता के शिल्पकार, अनूठे संपादक नागौर निवासी तेजसिंह जोधा को तथा 2019 के लिए अजमेर निवासी कवि, अनुवादक, टीकाकार, कोशकार पद्मश्री डॉ. चंद्रप्रकाश देवल को यह पुरस्कार दिया गया था।

राजस्थानी के सशक्त हस्ताक्षर हैं मोहन आलोक

3 जुलाई 1942 को राजगढ-चूरू के गांव किशनपुरा में जन्मे मोहन आलोक श्रीगंगानगर में रहते हुए राजस्थानी कविता को उस ऊंचाई तक ले गए, जैसी आधुनिक कविता को सामयिक जरूरत थी। आप राजस्थानी में ‘डांखळा’ और विदूषक पात्र ‘अभनै’ के प्रणेता हैं। आपकी ‘ग गीत’, ‘चित मारो दुख नै’, ‘सौ-सोनेट’, ‘चिड़ी री बोली लिखो’, ‘अेकर फेरूं राजियै नै’, ‘वनदेवी अमृता’, ‘बानगी’, ‘अग्रोक’ जैसी किताबें काफी लोकप्रिय रहीं। उमर खैयाम की रूबाइयों के राजस्थानी अनुवाद के साथ-साथ आपकी राजस्थानी कहानियां भी अपना मुकाम रखती हैं।
आपको ग गीत के लिए 1983 में साहित्य अकादेमी नई दिल्ली का सर्वोच्च पुरस्कार मिला। इसके अलावा राजस्थान साहित्य अकादमी (संगम) उदयपुर का पृथ्वीराज राठौड़ पीथळ पुरस्कार, मेजर रामप्रसाद पोद्दार सम्मान आदि पुरस्कार भी मिले हैं।

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