नगरश्री में खूब जमी साहित्य गोष्ठी

0
640

चूरू। लोक संस्कृति शोध संस्थान नगरश्री के सभागार में रविवार को सायं पं. कुंज विहारी शर्मा स्मृति 126वीं साहित्य गोष्ठी का आयोजन शंकरलाल झकनाड़िया की अध्यक्षता व डाॅ. श्यामसुन्दर शर्मा एवं विष्णुदत्त शर्मा के विशिष्ट सानिध्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ भवगतीप्रसाद शर्मा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना- ऐ मां सरस्वती शारदा से हुआ। मंगल व्यास भारती ने चूरू के गढ़ के दर्द को व्यक्त करने वाली कविता-ओ चूरू रो गढ़ आख्यां स्यूं नीर बहावै…व गायों की दशा पर कविता-भूखी मरती हांडै सुनाई। सुधीन्द्र शर्मा सुधी ने तेरी मासूम मुस्कान ने मेरे क्रोध को पानी पानी कर दिया…, नीलममुकेश वर्मा ने क्रूर जग की तपन मैं हरूं किसलिये…, विजयकांत शर्मा ने गजल- ऐ नहीं है कि हमें उस पर नाज नहीं है…, इन्द्रासिंह ने गीत- मचलती सागर की लहरे… महावीरप्रसाद सोनी सरस अपनी रचना- प्रेम की गठरी तो खोलो…, हरिसिंह ने नीले आसमान के नीचे फूटपाथ पर बैठा है…, आदि कविताओं श्रोताओं ने खूब दाद दी। अब्दुल मन्नान मजहर बेटी पर आधारित कविता- खुदा की मांग कर रहमत तू कर ले बेटी को, समझकर बोझ अब तू कोख में मत मार बेटी को…, सुनाई तो खूब तालियां बटोरी। सुरेन्द्र पारिक रोहित की कविता- जख्मी इंसानों के जख्मों पर मरहम धर दो को खूब सराहा गया। हकीम जलालुदीन खुश्तर की राष्ट्र भक्ति की कविता को खूब सराहा गया। मो. इदरीस खत्री राज की शेरों व गजलों ने खूब समां बांधा। शंकरलाल अभिजित ने हाइकू सुनाई। बनवारीलाल शर्मा खामोश के गीत-इकबार ले चलो मुझे..को खूब दाद मिली। विशिष्ट अतिथि विष्णुदत शर्मा ने उद्बोधन दिया। डाॅ. श्यामसुन्दर शर्मा ने शानदार गजल सुनाई। अध्यक्षीय उद्बोधन में शंकरलाल झकनाड़िया ने अपने कविता सुनाई। संचालन बाबूलाल शर्मा ने किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here