झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
सांसद बृजेंद्र सिंह ओला ने सोमवार को लोकसभा में अतारांकित प्रश्न के माध्यम से देश के संगठित और असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत करोड़ों श्रमिकों की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि देश की रीढ़ माने जाने वाले लाखों श्रमिक आज भी अपने मौलिक अधिकारों जैसे स्वास्थ्य सुविधा, पेंशन सुरक्षा और दुर्घटनाओं में मुआवज़ा से वंचित रह जाते हैं। सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार श्रमिक हितैषी योजनाओं के बड़े-बड़े दावे तो करती है। लेकिन धरातल पर योजनाओं का क्रियान्वयन लगभग शून्य है। जमीनी हकीकत बेहद चिंताजनक है और क्रियान्वयन में व्यापक खामियां हैं। श्रमिकों को योजनाओं से जोड़ने की घोषणाएं तो हुईं, लेकिन झुंझुनूं जिले सहित देश में अभी तक प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हुआ है। सांसद ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या मृतक श्रमिकों के आश्रितों को मुआवज़ा देने में फैक्ट्रियां व कंपनियां अनियमितताएं कर रही हैं? इस पर सरकार की ओर से कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार श्रमिकों के हितों के प्रति गंभीर नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ईएसआईसी, अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड और अन्य कानूनों के तहत जो सहायता व लाभ निर्धारित हैं, वे पीड़ित परिवारों तक समय पर नहीं पहुंच पाती है। मुआवज़ा प्राप्त करने की प्रक्रिया जटिल तथा धीमी है और श्रमिक हितैषी नहीं बनी हुई है। सांसद ने कहा कि सरकार केवल घोषणाएं न करे, बल्कि श्रमिकों के जीवन की सुरक्षा, और गरिमा के लिए ठोस क़दम उठाए। जिससे श्रमिकों का भला हो सके।
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