सुजानगढ़ में ओशो साहित्य प्रदर्शनी का आयोजन, ओशो के अद्वितीय विचारों और साहित्य का प्रचार-प्रसार करने के लिए आयोजित हुआ कार्यक्रम
सुजानगढ़। स्थानीय लाडनूं बस स्टेंड पर शुक्रवार को ओशो ओयोसीस ध्यान आश्रम सरदारशहर के तत्वावधान में एक दिवसीय ओशो साहित्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शन के संयोजक कन्हैयालाल स्वामी ने बताया कि स्वामी अनुराग की अध्यक्षता में प्रदर्शनी का उद्घाटन साहित्यकार डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया। इस अवसर पर डॉ. घनश्याम नाथ ने कहा कि ओशो का साहित्य इसलिए विशेष होता है कि उन्होंने प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं के सार को आधुनिक अस्तित्ववादी संघर्षों के साथ मिलाने का अद्भुत, अद्वितीय व अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया था। ओशो को पढ़ते और सुनते वक्त लगता है कि जटिल और अमूर्त विचारों को सुलभ गद्य में बदलने में उनको महारत हासिल थी। ओशो ने हिंदी का उपयोग ऐसे तरीके से किया कि सामान्य पाठकों और बौद्धिकों दोनों को संबोधित किया जा सके। डॉ. घनश्याम नाथ ने कहा कि ओशो ने जब रूढ़िवादी और परम्परावादी दौर था उस समय धर्म, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यक्तिगत परिवर्तन के बारे में उन्होंने क्रांतिकारी विचारों का एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उद्घाटन सत्र में स्वामी योग आलोक ने भी ओशो साहित्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। इस अवसर पर वन मित्र शंकर लाल सारस्वत, आरएलडी के इलियास खान , एडवोकेट दाराचंद स्वामी, एडवोकेट तिलोकचंद मेघवाल, रामनिवास गुर्जर, अशोक सेन, शेराराम आदि उपस्थित रहे।आगन्तुको ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और साहित्य की खरीद की। इस साहित्य प्रदर्शनी मे ओशो साहित्य की 650 पुस्तकों मे से अधिकांश पुस्तके उपलब्ध रही। कवि अशोक अनुराग ने आभार व्यक्त करते हुए बताया कि इस प्रदर्शनी का उद्देश्य ओशो के साहित्य का प्रचार – प्रसार करना है ।