चाय-नाश्ता बनाने, ग्राहकों से ऑर्डर लेने, सर्व करने और भुगतान तक समस्त कार्य कर रही हैं राजीविका के स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं, भविष्य में परम्परागत राजस्थानी खाने की होम डिलीवरी का प्लान
चूरू। चूरू कलक्ट्रेट परिसर में चल रही कस्तूरबा कैंटीन इन दिनों आगंतुकों के आकर्षण और विस्मय का केंद्र बनी हुई है। ग्रामीण अंचल में जहां अभी भी महिलाओं के काम करने को लेकर एक संकोच सा रहता है, वहीं इस कैंटीन में ठेठ देहात की महिलाएं चाय-नास्ता बनाने, ग्राहकों से ऑर्डर लेने, सर्व करने और पैमेंट जैसे समस्त कार्य स्वयं कर रही हैं। जिला कलक्टर संदेश नायक की पहल पर कलक्ट्रेट जैसी प्राइम लोकेशन पर शुरू की गई यह कैंटीन अपने आप में महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा संदेश दे रही है।
महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में 31 अगस्त को जिला मुख्यालय पर हुए कार्यक्रमों के सिलसिले में इस कस्तूरबा कैंटीन का शुभारंभ सूचना एवं जनसंपर्क राज्य मंत्री तथा जिला प्रभारी मंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने किया था। उसके बाद से बदस्तूर चल रही इस कैंटीन का समस्त कार्य अब महिलाएं संभाल रही हैं। कैंटीन का संचालन कर रहे स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष सरोज बताती हैं कि कैंटीन में ग्राहकों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। औसतन तीन हजार रुपए प्रतिदिन की बिक्री अभी हो रही है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसमें और अधिक इजाफा होगा। वह बताती हैं कि आने वाले समय में यहां परम्परागत राजस्थानी भोजन शुरू किया जाएगा, जिसमें बाजरे की रोटी, कैर-सांगरी की, फोफलिया आदि की सब्जी दी जाएगी। एडवांस ऑर्डर पर इस परम्परागत खाने की होम डिलीवरी भी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि जिला कलक्टर संदेश नायक की पहल पर यह बड़ा सम्मान जिले की महिलाओं को मिला है, जिससे वे कलक्ट्रेट जैसी जगह पर इस तरह का व्यवसाय सम्मान के साथ कर पा रही हैं। वे बताती हैं कि वे जब स्वयं सहायता समूह की गतिविधियों से जुड़ी थीं तो उनके परिवार पर बड़ा कर्जा था लेकिन अब न केवल वे आत्मनिर्भर हैं अपितु उनकी आय से पति को भी सहारा मिला और अब उनके पति दूध बेचने का कार्य कर आय अर्जित कर रहे हैं।
जिला कलक्टर संदेश नायक का इस बारे में कहना है कि उन्हें जिले में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को बेहतर ढंग से काम करते देखकर यह आइडिया आया। खुशी है कि महिलाएं इस पर अच्छा काम कर रही हैं और कैंटीन के बेहतरीन संचालन से महिलाओं की आज बढने से उनके परिवार का जीवन स्तर सुधरा है और कलक्ट्रेट आने वाले लोगों की सुविधाओं में भी इजाफा हुआ है। वे बताते हैं कि आने वाले दिनों में कलक्ट्रेट में ही प्रोडक्ट कॉर्नर और ई मित्र जैसी सेवाएं भी महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिए शुरू की जाएंगी। इसके साथ ही ब्लॉक लेवल पर भी प्रोडक्ट कॉर्नर स्थापित किए जाएंगे, जिनमें जिले के स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाई जा रही चप्पल, अचार, दाल, पापड़-बड़ी, मसाले आदि प्रोडक्ट का विक्रय महिलाओं द्वारा किया जाएगा। वे कहते हैं कि कलक्ट्रेट एवं अन्य सरकारी कैंपस में इन्हें स्पेस उपलब्ध कराने का मकसद है कि इनके उत्पाद अधिकतम प्रतिष्ठा के साथ प्रमोट किए जा सकें और गांधी जी के ग्राम स्वराज्य व महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का सपना साकार हो।
राजीविका के जिला प्रबंधक बजरंग सैनी कहते हैं कि जिले में करीब 4000 महिला स्वयं सहायता समूह हैं, जिनमें से अधिकतर बेहतर काम कर रहे हैं। कुछ स्वयं सहायता समूह उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं और जिला कलक्टर संदेश नायक ने ऎसे समूहों को आगे लाने के लिए इस कैंटीन के रूप में बेहतरीन पहल की है। उन्होंने कहा कि इन रोजगारपरक गतिविधियों से महिलाएं अतिरिक्त आय अर्जित कर अपने परिवार का जीवन स्तर बढा रही हैं और पूरे आत्मसम्मान के साथ महिला सशक्तिकरण का संदेश मुखर कर रही हैं। इन समूहों की यह गतिविधियां दूसरे समूहों और अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का काम करेंगी, ऎसी उम्मीद है।