जी माइनर मोघे को बड़ा करने पर आक्रोशित हुए किसान

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ना सुचना, ना ही कोई नोटिस और बदल दिया मुहाना, 12 वर्ष पुरानी व्यवस्था को बदल अधिकारीयों ने दिया नए विवाद को जन्म

श्रीगंगानगर। सिंचाई विभाग के अधिकारियों और विवादों का इन दिनों चोली-दामन जैसा साथ हो गया है। एक विवाद थमता नहीं है कि दूसरा शुरू हो जाता है। अक्सर देखने में आया है कि ज्यादातर विवादों के जनक खुद सिंचाई अधिकारी ही होते है। किसी को राहत दिलवानी तो दूर बल्कि जानबूझ कर विवादों को जन्म दे देते है। गैर जिम्मेदार अधिकारीयों की गलत नीतियों की वजह से किसान मजबूर होते हैं और जिनकी वजह से ही आंदोलन जन्म लेते हैं। ऐसा ही एक प्रकरण मंगलवार को देखने को मिला है। जिसमें सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने हजारों किसानों के हितों पर कुठाराघात करते हुए नाजायज तौर पर महज कुछ प्रभावशाली किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए माईनर के मुहाने को एक फीट 8 इंच बड़ा कर दिया। जिसके बाद गांव फतूही के हजारों काश्तकारों का आक्रोश फूट पड़ा, क्योंकि शिवपुर हैड पर एमएलए माइनर में से ई व जी दो शाखाएं निकलती है जो पिछले 12 वर्षों से एक साथ बनी व्यवस्था के अनुरूप चल रही है। तकनीकि दृष्टि से दोनों माइनर के मोघों का साइज एकदम सही है। इतने वर्षों तक दोनों माइनर के किसान पर्याप्त मात्रा में बराबर मिल रहे सिंचाई पानी से संतुष्ट थे, लेकिन गत दिवस बिना किसी सूचना अथवा नोटिस के चुपचाप आकर नियमाविरूद्ध सिंचाई अधिकारियों द्वारा जी माइनर के निर्धारित डिजाइन से मुहाने को बड़ा कर दिया, जिससे ई माइनर (फतूही) के काश्तकारों का पानी आधा ही रह गया। इस परिवर्तन के बाद मिल रहे कम मात्रा पानी से बिजाई और फसल पकाना बहुत मुश्किल हो गया है। मंगलवार को सैंकड़ों की तादाद में आक्रोशित किसानों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों और जिला कलक्टर ज्ञाना राम को ज्ञापन देते हुए मांग की है कि नहरी विभाग के नियमों के तहत अगर कोई माइनर बड़ा या छोटा करता हो तो इसके लिए राजस्थान जल सिंचन अधिनियम के तहत कार्रवाई करके ही किसी आऊटलेट को बदला जा सकता है। उसमें भी सभी सम्बंधित काश्तकारों को नोटिस दिया जाना जरूरी है, परन्तु इस प्रकरण में बिना कोई कानूनी प्रावधान के एकतरफा कार्रवाई की गई है इसलिए जी माइनर के मुहाने को पूर्व स्थिति में किया जाये अन्यथा मजबूरन किसानों को आंदोलन करना पड़ेगा। इस अवसर पर हरिमोहन खोथ, बाबु खोथ, चन्द्रशेखर झाझड़ा, अनिल जांदू, सुभाष सिहाग, धर्मवीर जांदू, भागीरथ जांदू, अश्वनी झाझड़ा, ओम खिलेरी उपस्थित थे।

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