देहरादून। उत्तराखंड में नई सरकार ने प्रदेश में सैकड़ों करोड़ के भूमि अधिग्रहण घोटाले के खुलासे का दावा किया है। सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग-74 बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। राज्य सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच के लिए केंद्र सरकार को लिखा है, जबकि छह वरिष्ठ अधिकारियों को घोटाले में उनकी संदिग्ध भूमिका के चलते सस्पेंड कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री रावत ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, उधम सिंह नगर जिले में 2011-2016 के बीच प्रस्तावित एनएच-74 के लिए खेती लायक जमीन के अधिग्रहण में 240 करोड़ रुपये मूल्य की गड़बड़ियां सामने आई हैं। चुनिंदा लोगों और लाभार्थियों को फायदा पहुंचाने के मकसद से खेती की जमीन को गैरकृषि भूमि दिखाकर मुआवजे की रकम पर 20 गुना ज्यादा फायदा कमाया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सवालों के घेरे में आई ज्यादातर जमीन उधमसिंह नगर जिले के जसपुर, काशीपुर, बाजपुर और सितारगंज में स्थित है। उन्होंने कहा कि इस तरह से होने वाले हेर-फेर की रकम का आंकड़ा और बढ़ेगा, क्योंकि अभी सिर्फ 18 मामलों की जांच की गई है, जबकि कई और मामलों की जांच बाकी है।
इस जमीन अधिग्रहण को बड़ा घोटाला बताते हुए रावत ने कहा कि उन्होंने इस अनियमितता की सीबीआई जांच के लिए अपनी सिफारिश केंद्र को भेज दी है। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इसके पीछे किसी राजनीतिक दल का हाथ लगता है, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जांच का विषय है और कुछ भी कहना अभी बेहद जल्दबाजी होगा, हालांकि उन्होंने कहा कि जो भी दोषी पाया जाएगा, फिर चाहे वह राजनीतिक रूप से कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार छह अधिकारियों को घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए निलंबित किया गया है, जबकि सातवें अधिकारी जो रिटायर हो चुका है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन अधिकारियों को निलंबित किया गया है, उनमें विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह और अनिल कुमार शुक्ला के अलावा उप जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह जंगपंगी, जगदीश लाल, भगत सिंह फोनिया और एनएस नांग्याल शामिल हैं। रावत ने कहा कि एक अन्य उप जिलाधिकारी हिमालय सिंह मारतोलिया के भी इस घोटाले में शामिल होने की आशंका है, लेकिन उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी होगी, क्योंकि वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं।