चूरू। राज्य के जेल महानिदेशक के निर्देशानुसार महर्षि अरविंदो की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में जिला कारागृह में बंदियों के लिए व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस दौरान अतिथियों ने जेल परिसर में चल रहे पुस्तकालय, पेंटिंग्स, योगाभ्यास एवं अन्य गतिविधियों का अवलोकन कर उनकी सराहना की। व्याख्यान को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि शिक्षाविद डॉ एलएन आर्य ने कहा कि महर्षि अरविंद ऎसे क्रांतिकारी महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने विश्व चिंतन को एक नई दिशा दी और बताया कि शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति खुद को बहुत ऊंचाइयों तक स्थापित कर सकता है। उन्होंने महर्षि अरविंदों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि जेल के दौरान उन्होंने इस बात पर चिंतन किया कि जीवन को कैसे सार्थक बनाया जाए। उन्होंने कहा कि महर्षि अरविंदो के चिंतन से पूरा पश्चिमी समाज भी चमत्कृत हुए बिना नहीं रह सका। उन्होंने जिला कारागृह में संचालित लाइब्रेरी एवं अन्य गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि यह कारागृह भी एक आश्रम की भांति प्रतीत होने लगा है। उन्होंने बंदीजनों से पुस्तकेेंं पढ़ने की अपील करते हुए कहा कि पुस्तकें व्यक्ति का जीवन बदल देती हैं।अध्यक्षता करते हुए पुरस्कृत शिक्षक फोरम के अध्यक्ष सूर्य प्रकाश त्रिवेदी ने कहा कि परिस्थितियां व्यक्ति से कोई भूल करवा लेती है लेकिन वक्त उसे बेहतर करने का भी अवसर देता है। बंदीजनों को अपने आपको रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखना चाहिए।
सहायक निदेशक (जनसंंपर्क) एवं युवा लेखक कुमार अजय ने कहा कि बंदीजन अपने भीतर किसी अपराध बोध को नहीं पनपने दें, उल्टा यह आत्मविश्वास अपने अंदर विकसित करें कि वे अपना जीवन बदल कर रचनात्मकता के चरम को छू सकते हैं। उन्होंने बंदीजनों के लिए रचनात्मकता और आत्ममंथन का समय है कि कैसे वे इस चारदीवारी से निकलते समय स्वयं, परिवार, देश और समाज के लि एक बेहतर नागरिक बनकर निकल सकते हैं। उन्होंने कहा कि सकारात्मकता की ओर वापसी के लिए कोई विलंब नहीं होता है। व्यक्ति जब चाहे, तभी से अपने जीवन को एक नई शुरुआत दे सकता है। उन्होंने जेल लाइब्रेरी को अपनी लिखी अनेक किताबें भेंट कीं। ।जिला साक्षरता अधिकारी ओमप्रकाश फगेड़िया ने डिजिटल साक्षरता अभियान की जानकारी दी और बताया कि जेल में निरक्षर बंदीजनों के लिए साक्षरता गतिविधियां संचालित की जा रही हैं और 20 निरक्षरों को पढाया जा रहा है। उन्होंने जेल में चल रही रचनात्मक गतिविधियों की चर्चा की।
शिक्षाविद ओमप्रकाश तंवर ने जेल में पुस्तकालय शुरू करने की पृष्ठभूमि के बारे में बताते हुए कहा कि विधायक कोष से पुस्तकालय भवन का भी निर्माण करवाया जा रहा है। जेल उपाधीक्षक कैलाश सिंह शेखावत ने आभार व्यक्त करते हुए बताया कि पुस्तकालय एवं योग प्राणायाम गतिविधियों के संचालन से जेल की फिजां ही बदल गई है। इस दौरान डिप्टी जेलर पवन कुमार टाडा, मुख्य प्रहरी मोहन सिंह, सुरेश कुमार, रामपाल, प्रहरी ओमप्रकाश, मुकेश कुमार, राजेंद्र सिंह, बसंती पूनिया आदि मौजूद रहे।