चूरू। राजस्थानी भाषा के संवर्द्धन और प्रोत्साहन में लगा स्थानीय प्रयास संस्थान वर्ष 2017 के लिए दुर्गेश युवा साहित्यकार पुरस्कार उदयपुर की युवा लेखिका रीना मेनारिया तथा वर्ष 2018 का पुरस्कार सूरतगढ़ के युवा लेखक सतीश छींपा को देगा।
प्रयास संस्थान के अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने बताया कि रीना मेनारिया को उपन्यास ‘पोतीवाड़’ के लिए तथा सतीश छींपा को कहानी संग्रह ‘वान्या अर दूजी कहाणियां’ के लिए यह पुरस्कार दिया जाएगा। प्रयास संस्थान के सचिव कमल शर्मा ने बताया कि इस पुरस्कार के तहत युवा साहित्यकार को इक्यावन सौ रुपये, शाॅल, श्रीफल तथा मानपत्रा प्रदान किया जाता है। इस वर्ष चूरू जिला मुख्यालय पर अक्टूबर में आयोजित होने वाले आयोजन में रीना मेनारिया को तथा अगले वर्ष फरवरी में आयोजित आयोजन में सतीश छींपा को पुरस्कृत किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि चूरू के दिवंगत साहित्यकार दुर्गेश की स्मृति में स्थापित यह पुरस्कार संस्थान की ओर से पिछले वर्ष कालू-बीकानेर के कमलकिशोर पीपलवा को निबंध-संग्रह ‘रोळी-मोळी’ के लिए दिया गया था।
16 फरवरी 1982 को उदयपुर में जन्मीं युवा लेखिका रीना मेनारिया के अब तक राजस्थानी में ‘तकदीर रा आंक’ और ‘घी रौ दीवलौ’ कहानी संग्रह तथा उपन्यास ‘पोतीवाड़’ छपे हैं। हिंदी में ‘लगाव का रिश्ता तथा अन्य कहानियां’, ‘उधार के कौर और स्त्राी-विमर्श की अन्य कहानियां’ तथा ‘कहानी भीतर कहानी’ पुस्तकें भी छपी हैं। इससे पहले रीना मेनारिया को कमला गोइन्का फाउण्डेशन, मुम्बई का किशोर कल्पनाकांत युवा साहित्यकार पुरस्कार, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर का प्रेमजी प्रेम युवा लेखन पुरस्कार सहित कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
14 नवम्बर 1986 को श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ कस्बे में जन्में सतीश छींपा राजस्थानी के ऊर्जावान कवि-कथाकार हैं। राजस्थानी में कविता संग्रह ‘डांडी सूं अणजाण’ तथा ‘एंजेलिना जोली अर समेस्ता’ तथा कहानी संग्रह ‘वान्या अर दूजी कहाणियां’ इनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं। हिंदी में ‘लिखूंगा तुम्हारी कथा’, ‘ये लहू उबलता रहेगा’ आदि पुस्तकें भी छपी है। छींपा अनियतकालीन पत्रिका ‘किरसा’ के संपादक भी हैं । ‘कथा-हस्ताक्षर’ छींपा संपादित पुस्तक है। इससे पहले इन्हें धानुका सेवा ट्रस्ट, फतेहपुर-शेखावाटी के ‘श्रीमती बसंती देवी धानुका युवा साहित्यकार पुरस्कार’ सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं।