चूरू। ग्राम रेवासी में गणपत भाकर की ओर से करवायी गयी भागवत कथा का आठवें दिन हवन व गांवाई प्रसाद के साथ आयोजन संपन्न हुआ। कथा व्यास पं. रामपाल शर्मा शास्त्री जैसलान ने बताया कि कथा विराम के दिन रेवासी, सिहोट, बिंजासी तथा आसपास के गांवों से भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। आयोजक गणपत भाकर द्वारा कराई गई कथा में चढ़ावे के रूप में आयी समस्त राशि कुल 4.5 लाख गांव की गौशाला व शिव मन्दिर के लिए परिदान की गयी। उक्त चढ़ावा में गौशाला के लिए 3.25 लाख नगद व एक रसोई निर्माण के लिए 41 हजार राशि सुखाराम सेवदा की ढाणी ने देने की घोषणा की। साथ ही 30 हजार राशि कीमत के बीस पंखे अलग-अलग भक्तों द्वारा देने की घोषणा कथा में की गयी। इसके अलावा गौशाला के सामने कथा परिसर शिव मंदिर की छत के निर्माण के लिए 55 हजार राशि रामनारायण राव, रणधीर काजला जेठी व जयपाल ढाका लक्ष्मणगढ़ की ओर से शामलाती घोषणा की गयी। गांव की गौशाला के लिए बिजली कनेक्शन के साथ एक ट्यूबवेल निर्माण पंचायत समिति के जरिए करवाने की घोषणा पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रामेश्वर लाल रणवा द्वारा की गयी। कथा व्यास पं. शर्मा ने श्रद्धालुओं को सीख दी कि अपनी संतानों में अच्छे संस्कार डालना सबसे पहले मां बाप की जिम्मेदारी है। भक्तों को बताया कि कृष्ण भगवान स्वयं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सारे काम करते थे। आज का विज्ञान भी प्रातः ब्रह्म समय को अमृत वेला कहता है। सुदामा प्रसंग में बताया कि भगवान् के तीन भक्त अर्जुन, सुदामा व उद्धव तीनों कर्म, भक्ति व ज्ञान के धनी हैं। सुदामा के पास भौतिक धन नहीं बल्कि ज्ञान धन था। वह अपने ज्ञान को बेचता नहीं था बल्कि बांटता था। सुदामा चरित हमें यह भी सीख देता है कि हमें याचक वृत्ति नहीं रखनी चाहिए बल्कि सब कुछ अच्छा कर गुजरने की क्षमता व योग्यता हासिल करनी चाहिए। कथा के अंत में श्रीशुकदेवजी द्वारा आत्मा की अमरता की बात श्रापित राजा परीक्षित को समझायी। भव्य झांकियों व संगीत के साथ भागवत कथा सम्पन्न हुई।