अंचल की लोक कलाओं को बढ़ावा देने का कार्य करे – कला एवं संस्कृति मंत्री

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पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की कार्यक्रम समिति की बैठक

जयपुर। उदयपुर जिले में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की कार्यक्रम समिति की बैठक बुधवार को राजस्थान के कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी.कल्ला की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जिसमें केन्द्र के वर्ष 2020-2021 के 8.20 करोड़ कार्यक्रम प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया। इस अवसर पर कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. कल्ला ने आह्वान किया कि लोक कला, जनजाति कलाओं को आगे लाने में सांस्कृतिक केन्द्र महत्ती भूमिका अदा करे तथा अंचल की कलाओं को विश्व पटल पर प्रस्तुत करे। वहीं कोविड संक्रमण के चलते डिजिटल प्रस्तुतिकरण का कार्य करें।
उदयपुर में होटल लेकएण्ड में आयोजित वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. कल्ला ने राजस्थान सहित केन्द्र के सभी सदस्य राज्यों की विभिन्न त्यौहारों, गीतों, नृत्यों और परंपराओं को लोगों तक पहुंचाने का कार्य करे। बैठक में प्रभारी निदेशक सुधांशु सिह ने वर्ष 2019-20 में केन्द्र की विभिन्न गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया। जिसमें उदयपुर में शिल्पग्राम उत्सव, चित्तौड़गढ़, जूनागढ़, कोटा में आयोजित ‘‘धरोहर’’ चित्र कला शिविर, आनन्द में आयोजित ‘‘ऑक्टेव’’, प्रलेखन आधारित वाद्य यंत्र कार्यशाला, फाइबर स्कल्पचर वर्कशॉप, गणतंत्र दिवस परेड में भागीदारी आदि उपलब्धियों के साथ-साथ केन्द्र के प्रत्येक आयोजन का विवरण प्रस्तुत किया।
बैठक में केन्द्र के वर्ष 2020-21 की वार्षिक कार्य योजना पर विचार विनिमय करते हुए उनका अनुमोदन किया गया। केन्द्र द्वारा इस वर्ष गोवा में ‘‘लोकोत्सव’, महाराष्ट्र के अमरावती में ‘‘लोक तरंग’’, गुजरात के गांधीनगर में ‘वसंतोत्सव’’ तथा उदयपुर में ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ का आयोजन करेगा वहीं सदस्य राज्यों में पारंपरिक उत्सवों में दमण में नारियल पूर्णिमा उत्सव, गोवा में ‘‘गणेशोत्सव’’, महाराष्ट्र में सप्तश्रृंगी उत्सव, वाग्वर अंचल के बेणेश्वर में बेणेश्वर मेला, गुजरात के आहवा में ‘‘डांग दरबार’’ तथा दादरा नगर हवेली में तारपा उत्सव में सहभगिता करेगा। राजस्थान के बीकानेर में पूर्वोततर राज्यों की कलाओं पर आधारित ‘‘ऑक्टेव’’, शात्रीय कलाओं पर आधारित कार्यक्रमों में गोवा के मार्दोल, गुजरात के मोढेरा के सूर्य मंदिर, महाराष्ट्र व संघ प्रदेश दमण, दीव दादरा नगर हवेली में शासत्री नृत्य व संगीत कार्यक्रम ‘‘नुपुर’’ तथा उदयपुर में ‘‘मल्हार’’ ‘‘ऋतु वसंत’’ व जयपुर में नुपुर का आयोजन प्रमुख हैं।
दृश्य कलाओं में केन्द्र द्वारा इस वर्ष गोवा में समसामयिक चित्रकार शिविर ‘‘चित्रांकन’’, सदस्य राज्यों की ऎतिहासिक धरोहरों पर आधारित ‘‘जलरंग’’ चित्रकला शिविर, लघु चित्रण शैली में ‘‘पिछवाई’’ चित्र कला पर शिविर के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर ‘‘केन बैम्बू क्राफ्ट वर्कशॉप, फाइबर आर्ट वर्कशॉप आदि का आयोजन करेगा। इसके अलावा विलुप्त लोक और जनजाति वाद्य यंत्रों पर एक और कार्यशाला आलोच्य में आयोजित की जाने का अनुमोदन किया गया। ग्रामीण स्तर पर लोक कलाओं के प्रसार के लिये केन्द्र द्वारा सदस्य राज्यों में ‘‘यात्रा-पश्चिमालाप’’ उदयपुर में फूड और संगीत उत्सव ‘‘शरद रंग’’, सीमाओं पर देश की रक्षा करने वाले जवानों के लिये लोक कलाओं से अलंकृत ‘‘प्रहरी’’, बालकों के लिये ‘‘बालोत्सव’’, दिवयांगों के लिये ‘‘उड़ान’’ के आयोजन के साथ-साथ सदस्य राज्यों के कला एवं संस्कृति निदेशालय के सहयोग नाट्योत्सव, पारंपरिक नाट्य समारोह, उदयपुर में मासिक नाट्य संध्या ‘‘रंगशाला’’ का आयोजन उल्लेखनीय है। इसके अलावा गोवा में ‘‘शिगमो उत्सव’’, उदयपुर में ‘‘गणगौर उत्सव’’, चित्तौडगढ़ में ‘‘मीरा महोत्सव’’, गुजरात में ‘‘तरणेतर मेला’’, महाराष्ट्र में ‘‘पंढरपुर उत्सव’’ का आयोजन केन्द्र द्वारा किया जायेगा।बैठक में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती अमिता प्रसाद सरभाई, राजस्थान की कला एवं संस्कृति सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा, जयपुर के राजा भारद्वाज, अशोक शर्मा समेत कई कला मर्मज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये।

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