आस्ट्रेलिया और अमेरिका तक एक्सपोर्ट हो रही है श्योपुरा की झींगा मछली

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मरूधरा में हो रहा है मछलीपालन, पिछले साल हुई करीब 360 टन पैदावार,             60 किसानों ने बेची 10 करोड़ से ज्यादा की झींगा मछलियां

चूरू। रेतीले धोरों के लिए मशहूर चूरू के किसानों ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अब मछली पालन को भी मुमकिन कर दिखाया है। आपको सुनकर भले ही हैरानी हो, लेकिन यह सच है। जिले के श्योपुरा गांव के करीब 60 किसान इसका उत्पादन कर रहे हैं और पिछले सीजन में करीब 360 टन झींगा मछली यहां से सप्लाई की गई है। रोचक बात यह है कि यहां की झींगा मछली आॅस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब जैसे देशों में एक्सपोर्ट की जा रही है और अपनी बेहतर गुणवत्ता के कारण वहां खूब पसंद की जा रही है। उल्लेखनीय है कि प्रोटीन, विटामिन और न्यूट्रीशन्स से भरपूर झींगा मछली में ओमेगा 3 पाया जाता है और इसे पोषण से भरपूर भोजन माना जाता है।

झींगा मछली पालन से जुड़े श्योपुरा के किसान बलवान के मुताबिक, पिछले तीन चार साल से इस क्षेत्रा के किसान इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। किसानों ने 200 गुणा 200 वर्ग फीट से लेकर 200 गुणा 300 वर्ग फीट आकार के पौंड बना रखे हैं तथा उनके झींगा मछली पालन का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्रा के करीब 60 किसानों ने यह काम शुरू किया है और वे इससे अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार पिछले सीजन में करीब 360 टन पैदावार इस क्षेत्रा में हुई है। मछली के वजन के अनुसार 180 रुपए किलो से लेकर 600 रुपए किलो तक के भाव यहां मिल जाते हैं। इस हिसाब से करीब 10 करोड़ से अधिक की झींगा मछलियां यहां से एक्सपोर्ट हुई हैं।

झींगा मछलीपालन से जुड़े मनोज गोस्वामी ने बताया कि उन्होंने पिछले एक सीजन में करीब 28 लाख रुपए की मछलियां बेची हैं। उन्होंने इसी वर्ष यह काम शुरू किया है, इसलिए उनका निवेश अधिक हुआ है और मुनाफा नहीं हो पाया लेकिन आगामी सीजन में उन्हें कम लागत में अच्छी पैदावार मिल सकेगी, ऐसी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि झींगा मछली पालन से जुड़े किसान अच्छी आय ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि झींगा मछलियों के पालन के लिए देखरेख बहुत महत्त्वपूर्ण है तथा दिन में करीब 18 घंटे पानी में एरियेटर चलाना पड़ता है, जिससे मछलियों को पूरी आॅक्सीजन व पोषण मिलता रहे।किसानों ने बताया कि क्षेत्र का पानी खारा है लेकिन इसकी गुणवत्ता के मापदंड झींगा पालन के हिसाब से उत्तम हैं तथा इसके अलावा वे पोषण बनाए रखने के लिए नियमित रूप से आवश्यक दवाएं पानी में डालते हैं।

किसानों ने बताया कि फिलहाल बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारण ज्यादातर किसान डीजल जेनरेटर से ही एरियेटर चला रहे हैं, जिसके कारण उनकी लागत ज्यादा आ रही है। यदि राज्य सरकार द्वारा उन्हें बिजली के कृषि कनेक्शन उपलब्ध करवा दिए जाएं तो उन्हें काफी अच्छा मुनाफा हो सकता है तथा प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति के हिसाब से भी यह बेहतर हो सकता है। किसानों ने बताया, पास में ही स्थित हरियाणा राज्य में खूब किसान झींगा मछली पालन कर रहे हैं तथा वहां सरकार की ओर से करीब 50 फीसदी सब्सिडी इस पर दी जा रही है। इसके चलते वहां के किसान बहुत अच्छी स्थिति में हैं। यदि राजस्थान सरकार उन्हें बिजली और सब्सिडी दे तो काफी फायदा हो सकता है।

पिछले दिनों जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता रियाजत खान ने झींगा मछली पालन से जुड़े किसानों को लेकर जिला प्रभारी सचिव तथा सहकारिता रजिस्ट्रार व जनसंपर्क आयुक्त डाॅ नीरज के पवन से मुलाकात की और उन्हें इस बारे में बताया। चूरू जैसे जिले में झींगा पालन की बात जानकर डाॅ पवन काफी उत्साहित हुए तथा उन्होंने राज्य सरकार की ओर से यथायोग्य सहायता दिए जाने का भरोसा किसानों को दिलाया। रियाजत खान ने बताया कि सरकार की ओर से प्रमोट किए जाने पर जिले के किसानों के लिए झींगा मछली पालन काफी फायदे का सौदा साबित हो सकता है तथा ज्यादा संख्या में किसान इससे जुड़ सकते हैं। खान ने बताया कि उनका प्रयास है मस्त्यपालन विभाग की ओर से इन किसानों को तकनीकी सहायता मिले ताकि इनके काम में और अधिक गुणवत्ता आ सके तथा इन मछलीपालक किसानों की आय बढ़ सके।

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