चूरू। स्थानीय दादू भवन में अखंड ज्योत है अपार माया, श्याम देव की प्रबल छाया….जैसे श्याम पाठ के रचयिता श्रीचंद शर्मा के निधन पर शुक्रवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। श्याम प्रेमी पवन जालान ने बताया कि श्रीचंद शर्मा का जन्म विक्रम संवत 1990 में भादरा के डुंगराना गांव में चौमालवंशी ब्राह्मण परिवार में हुआ था, उनके पिता लुणाराम व माता जड़िया देवी के सबसे छोटे पुत्र पं. श्रीचंद शर्मा की शिक्षा दीक्षा चूरू शहर के ऋषिकुल ब्रह्मचार्य आश्रम में पं. पूर्णानंद अग्निहोत्री के मार्गदर्षन में संपन्न हुई। बाल्यावस्था में ही पिता के आदेश से सूरजगढ़ गए, जहां उन्हें परम गुरु सांवलराम का सानिध्य मिला। उनके सानिध्य में प्रथम बार सूरजगढ़ से खाटू धाम की पदयात्रा शुरू की और यह अनवरत जारी रही। बाबा श्याम के आशीर्वाद से उन्होंने अखंड ज्योति पाठ लेखन की प्रेरणा मिली। आज से लगभग 61 वर्ष पूर्व अपने खाटू धाम प्रवास के दौरान पवित्र श्याम कुंड पर बैठकर 41 दिनों तक निराहार रहकर इस अनुपम ग्रंथ अखंड ज्योत है अपार माया श्याम देव की प्रबल छाया….श्री श्याम अखंड ज्योति पाठ की रचना की। यह पाठ देवउठनी एकादशी पर संपन्न हुआ। ज्ञात रहे कि 16 नवंबर 1964 सोमवार के दिन जब कलयुग के अवतारी बाबा श्याम की साक्षात कृपा व आशीर्वाद से श्रीचंद शर्मा ने इस चमत्कारी पाठ को श्याम प्रभु खाटू धाम के दरबार में भक्त आलू सिंह महाराज की उपस्थिति में सुनाया था। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये श्याम भक्तों ने कहा कि गुरुजी श्रीचंद शर्मा सरल, सादा जीवन जीने वाले गौ सेवक व समाज सेवी थे। उन्होंने कहा कि यह लोक कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उनकी वाणी एवं उपदेशों को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है। यही हम सब की उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। इस अवसर पर शहर के गणमान्य जनों ने पुष्प अर्पित कर शर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प दिलाया।