आशा पाराशर के कथा संग्रह ‘आदमखोर’ का विमोचन

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जयपुर। आशा पाराशर के पहले कहानी संग्रह ‘आदमखोर’ का विमोचन जयपुर की कलानेरी आर्ट गैलरी में सोमवार को किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शारदा कृष्ण ने कहा कि लेखिका ने अपनी कहानियों में समाज के जिन विषयों को उठाया है वह प्रशंसनीय है। उन्होंने संग्रह की शीर्षक कहानी आदमखोर पर विशेष रूप से चर्चा की।वरिष्ठ रंगकर्मी और लेखक डॉ. अशोक राही ने कहा कि आशा पाराशर की कहानियां समाज का आईना हैं। कथा संग्रह की प्रत्येक कहानी प्रभावित करती है और जीवन के प्रति लेखिका के एक बिल्कुल भिन्न दृष्टिकोण को सामने लाती हैं। ये कहानियां पाठकों को मानसिक रूप से उद्वेलित करती हैं और समाज की वास्तविकताओं और विसंगतियों के बारे में सोचने के लिए मजबूर करती हैं।महारानी कॉलेज की पूर्व प्रार्चाया डॉ. अमला बत्रा ने अतिविशिष्ट अतिथि के तौर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लेखिका आशा पाराशर की कहानियां समाज के ताने बाने को बड़ी खूबसूरती से बयां करती हैं। इनकी कहानियों को पढ़कर लगता है की ये हमारे आस पास की ही कोई सच्ची कहानी है, जिन्हें बड़ी खूबसूरती और सहजता से शब्दों में पिरोया गया है। हिंदी प्रचार संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अखिल शुक्ला ने कहा कि सामाजिक संदेश देती लेखिका की कहानियां जीवन के विभिन्न चरित्रों की वास्तविकता को प्रदर्शित करने वाली हैं। सभी कहानियां पठनीय और संदेशपरक हैं।

पुस्तक की समीक्षा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आशा शर्मा ने की। उन्होंने संग्रह की सभी कहानियों के कथ्य और शिल्प पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सभी कहानियां भावप्रवण हैं और मानवीय संवादनाओं को जगाने वाली हैं। समाज के किसी न किसी गंभीर विषय को उठाती ये कहानियां लेखिका की सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती हैं। लेखिका आशा पाराशर ने अपनी पुस्तक के बारे में बताया कि अपनी कहानियों में उन्होंने शहरी मध्यवर्ग की कथाओं को जिंदा करने की कोशिश की है। उनकी कहानियां आम आदमी की संक्षिप्त आत्म कथाएं हैं। उन्होंने बताया कि इस संग्रह में कुल 23 कहानियां हैं। हिन्दी कहानियों की यह उनकी प्रथम पुस्तक है। पुस्तक विमोचन समारोह में विशिष्ट सचिव, मुख्यमंत्री राजन विशाल, मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी डॉ. फारुख आफरीदी सहित शहर के विख्यात साहित्यकारों और लेखकों ने शिरकत की।

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