प्रतिभाओं का सम्मान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समा, ‘कौन बनेगा वाचस्पति’ प्रतियोगिता, शिवताण्डव नृत्य, नाटिकाओं और आध्यात्मिक प्रवचनों से महका आश्रम का वार्षिकोत्सव
चूरू। श्रीऋषिकुल ब्रह्मचर्याश्रम में तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव पर अतिथियों ने प्रतिभाओं को सम्मानित किया। कार्यक्रम में छात्रों ने कला, विद्वत्ता और निष्ठा का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इस अवसर पर ‘कौन बनेगा वाचस्पति’ प्रतियोगिता की प्रारम्भिक परीक्षाएं आयोजित की गई। जिसमें प्रतिभागियों ने शास्त्रीय ज्ञान, श्लोक-पाठ, एवं संस्कृत व्याकरण की सूक्ष्मताओं का प्रभावी प्रदर्शन किया। इस मौके पर शिवताण्डव नृत्य की ओजस्वी प्रस्तुति आकर्षण का केन्द्र रही। आश्रम के ब्रह्मचारियों ने बालकवि सम्मेलन कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भक्ति, ज्ञान और राष्ट्रभावना के विविध रंग उपस्थित जनसमूह के समक्ष उकेरे। दूसरे दिन प्रातकालीन सत्र का शुभारंभ मां सरस्वती के पूजन और वेद मंत्रोच्चारण से किया गया। तत्पश्चात विद्यार्थियों ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम में श्लोक वाचन, संस्कृत नाटिका, स्तोत्र-प्रस्तुति, संस्कृत भाषण आदि की प्रस्तुतियों ने छात्रों की विद्वत्ता व संस्कृत-प्रेम को उजागर किया। द्वितीय सत्र की शुरुआत आश्रम-गीत ने आश्रम की मर्यादा, अनुशासन और आध्यात्मिक जीवन के आदर्शों को प्रतिबिंबित किया। फिर दण्डी स्वामी महाराज ब्रह्मानंद सरस्वती ने ब्रह्मचर्य, संस्कृति-संरक्षण, शास्त्राध्ययन,वाक्चातुर्यता और जीवनदृअनुशासन के महत्व पर प्रेरक विचार व्यक्त किए। उन्होंने उपलक्षण, सत्यान्वेषण एवं चरित्र निर्माण की महत्ता को समझाते हुए ऋषि उपमन्यु और सत्यकाम जाबाल की कथाओं का वर्णन किया। इन कथाओं के माध्यम से उन्होंने सत्य, निष्ठा, धैर्य, गुरु-भक्ति, और आत्मबल जैसे जीवन-मूल्यों को सरल एवं प्रभावशाली ढंग से उपस्थित जनसमूह तक पहुँचाया। संध्या काल में सीताहरण नाटक का मंचन किया गया। इस अवसर पर कौन बनेगा वाचस्पति’ प्रतियोगिता में ब्रह्मचारी श्रवण सारस्वत ने प्रथम स्थान प्राप्त कर आश्रम का गौरव बढ़ाया। वार्षिकोत्सव के तिसरे दिन आध्यात्मिक सौम्यता और सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण रहा। दूसरे सत्र में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में मुदगर प्रदर्शन योग-नृत्य, पिरामिड प्रदर्शन, भक्त प्रह्लाद पर आधारित नाटिका आदि का मंचन किया गया। वार्षिकोत्सव के समापन पर ब्रह्मानंद सरस्वती ने विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। आश्रम के प्राचार्य भवानी शंकर शर्मा ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संस्था के न्यासी, प्राचार्य, व्यवस्थापक, अतिथि, आचार्य, ब्रह्मचारी व अभिभावक आदि उपस्थित रहे। व्यवस्थापक ईश्वर सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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