थाईलैंड में नौकरी का झांसा देकर ले जाया गया था म्यांमार, लड़की बनाकर अमेरिकी बुजूर्गों से करवाते थे ठगी

झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
जब मैंने पहली बार चैट खोली, तो मैं नैंसी थीं। न कोई पहचान, न कोई आजादी। बस एक भारतीय लड़का जो अमेरिकी बुजूर्गों को ठगने पर मजबूर था। टारगेट पूरा नहीं किया तो बिजली के करंट से झटके मिलते थे। यह कहानी किसी फिल्म की नहीं, बल्कि झुंझुनूं के अविनाश की है। जो नौकरी के सपने में म्यांमार के एक साइबर क्राइम कैंप तक पहुंच गया। जहां इंसान को इंसान नहीं, बल्कि डिजिटल हथियार बना दिया जाता है। आप भी पढेंगे तो आपके सामने भी काला सच आएगा। थाईलैंड में ऊंचे वेतन और शानदार जीवन का सपना दिखाकर भारत से सैंकड़ों युवाओं को म्यांमार की धरती पर साइबर क्राइम की फैक्ट्री में पहुंचा दिया गया। इनमें से एक हैं झुंझुनूं का अविनाश। जिन्होंने अपनी जुबानी उस डिजिटल नरक की दास्तां बताई। जहां हर दिन डर, सजा और ठगी का काम चलता था। अविनाश बीएससी एग्रीकल्चर से ग्रेजुएट हैं। उन्होंने बताया कि एक एजेंट ने उन्हें थाईलैंड की बड़ी कंपनी में नौकरी दिलाने का लालच दिया। 80 हजार रुपए वेतन और 20 हजार बोनस का वादा किया गया। लेकिन थाईलैंड पहुंचने के बाद उन्हें डंकी रूट से जंगलों के रास्ते म्यांमार ले जाया गया। म्यांमार पहुंचते ही उनका पासपोर्ट छीन लिया गया। एक बड़े कंपाउंड में बंद कर दिया गया। चारों तरफ हथियारबंद गार्ड थे। वहां से बाहर निकलना नामुमकिन था। हर युवक को एक नई पहचान दी जाती थी। अविनाश को कहा गया कि अब तुम्हारा नाम नैंसी है, तुम अमेरिका में रहने वाली युवती हो। तुम्हें फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बुजूर्ग अमेरिकियों से बात करनी है।
सुंदर महिलाओं की तस्वीरें वाले फर्जी अकाउंटों की भरमार
कैंप में मौजूद लोग सुंदर महिलाओं की तस्वीरें वाले फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट चलाते थे। उनका काम था अमेरिकी बुजूर्गों से दोस्ती कर भरोसा जीतना, फिर निवेश या गिफ्ट कार्ड के नाम पर ठगी करवाना। अविनाश ने बताया कि मैंने एक महीने में 10 लोगों से बात की। उनमें से तीन से ठगी सफल हुई। जो टारगेट पूरा नहीं करता था। उसे करंट से झटके दिए जाते थे या भूखा रखा जाता था। भारत सरकार के एक स्पेशल ऑपरेशन के तहत म्यांमार-थाईलैंड सीमा से करीब 500 भारतीय युवाओं को छुड़ाया गया। जिनमें अविनाश भी शामिल था। उन्होंने बताया कि वहां सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नाइजीरिया, इथियोपिया जैसे देशों के युवक भी ठगी करने पर मजबूर थे। अविनाश ने कहा कि हम सोच रहे थे कि विदेश जाकर पैसा कमाएंगे, लेकिन हमें साइबर ठग बना दिया गया। हर दिन झूठ बोलना, धोखा देना और डर के साए में जीना हमारी दिनचर्या बन गई थी। यह आधुनिक गुलामी है। यह कहानी चेतावनी है उन युवाओं के लिए जो विदेश की चमक में सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। क्योंकि कभी-कभी वहां ‘नौकरी’ नहीं, ‘नर्क’ इंतजार कर रहा होता है।












