भगवान कण कण में है, यही भागवत का मूल भाव है – संतश्री हरिशरण जी महाराज

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झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
संतश्री हरिशरण जी महाराज की संगीतमय श्रीमद् भाागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन झुंझुनूं के निकटवर्ती ग्राम कालीपहाड़ी में छह नवंबर गुरुवार तक कथा स्थल इतिहासकार रघुनाथ सिंह जी का निवास स्थान पर किया जा रहा है। जिसमें कथा के छठे दिवस बुधवार को सुबह पांच बजे आयोजित प्रवचन कार्यक्रम एवं इसके पश्चात आयोजित प्रभात फेरी में श्री श्याम आशीर्वाद सेवा संस्था के ट्रस्टी डॉ. डीएन तुलस्यान, सुनील पाटोदिया वेलफेयर फाउंडेशन से संगीता प्रदीप पाटोदिया, टायल व्यवसायी कमल केजड़ीवाल, प्रभात फेरी परिवार झुंझुनूं से कुंदन सिंगड़ोदिया, निर्मल मोदी, सुभाषचंद्र जालान एवं पोकरमल सैनी आदि ने उपस्थित होकर महाराज जी के प्रवचनो को सुनकर धर्म लाभ प्राप्त किया। व्यासपीठ से प्रवचन देते हुए महाराजश्री ने बताया कि भगवान कण कण में है। यही भागवत का मूल भाव है। उन्होंने नानी बाई के मायरे की कथा का संक्षिप्त विवरण बताते हुए कहा कि किस प्रकार भगवान ने मायरा भरा था। उन्होंने कहा कि धन का शुद्धिकरण उसी तरह आवश्यक है। जिस तरह धन कमाना, इसलिए कहा गया है कि सामाजिक सेवा कार्य करने से ही धन की शुद्धि होती है जो हर व्यक्ति को करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि पुराने जमाने में सभी सेठ साहूकार, राजा महाराजे भी धन का शुद्धिकरण सेवा कार्यों में ही करते थे और आज तो सरकार ने भी बड़ी बड़ी कंपनियों पर सेवा कार्य करने के लिए सीएसआर के नाम से फंड बनाकर सेवा कार्य करने की योजना को कार्यान्वित कर दिया है। संत हरिशरण जी ने कहा कि व्यक्ति को कभी भी अपने ऊपर अभिमान नहीं करना चाहिए समय आता जाता रहता है हमेशा सम भाव रखना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. डीएन तुलस्यान एवं झुंझुनूं के अन्य जन ने व्यासपीठ पर संतश्री का साफा एवं शाॅल ओढाकर माल्यार्पण के साथ स्वागत अभिनंदन किया एवं व्यासपीठ से महाराज जी के हाथों उपस्थित कुछ आयोजक एवं ग्रामवासियों को भी दुपट्टे ओढवाकर कृष्ण—राधा का प्रतीक चिह्न भेंट करवाया। प्रवचन कार्यक्रम के पश्चात महाराज जी के सानिध्य में सभी भक्तजनों ने प्रभातफेरी में भाग लिया। जगह जगह संत श्रीहरिशरण जी महाराज का पुष्प वर्षा से ग्रामवासियों ने स्वागत किया। इस अवसर पर आयोजक श्री राधा रमण सरकार की ओर से उपस्थित भक्तगण। ठा. सा. मुकुंदसिंह, लक्ष्मणसिंह, रघुनाथसिंह, बलबीरसिंह, कैलाशसिंह, प्रयागसिंह, श्रवणसिंह, अशोकसिंह, सुरेंद्रसिंह, वीरेंद्रसिंह, ब्रह्मदेवसिंह, लोकेंद्रसिंह, विक्रमसिंह, नरेंद्रसिंह, भूपेंद्रसिंह, गजेंद्रसिंह एवं गोपालसिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे।

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