पुजारियों की मांगों को लेकर संवेदनशीलता का परिचय दे सरकार – महेश बसावतिया

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झुंझुनूं। अजीत जांगिड़
झुंझुनूं पुजारी सेवक महासंघ रजि. के जिला संयोजक महेश बसावतिया ने पुजारियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को लेकर सरकार से संवेदनशीलता बरतने की अपील की है। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से आग्रह किया है कि पुजारियों की दशा को देखते हुए उनके कल्याण हेतु ठोस कदम उठाए जाएं।

आर्थिक सहयोग और कल्याण बोर्ड की मांग

महेश बसावतिया ने एक प्रेस बयान में कहा कि वर्तमान में अधिकांश पुजारी आजीविका के स्थायी साधनों से वंचित हैं। मंदिरों में सेवा करने वाले पुजारी न तो किसी नियमित वेतनमान में आते हैं और न ही उनके लिए किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध है। ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि वह पुजारियों को मासिक आर्थिक सहयोग की राशि प्रदान करे।उन्होंने मांग की कि राज्य स्तर पर “पुजारी कल्याण बोर्ड” का गठन किया जाए, जो पुजारियों के हितों की देखरेख करे और उन्हें आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराए। इसके साथ ही “पुजारी प्रोटेक्शन बिल” लाकर उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

शेखावाटी संभाग महाधिवेशन की अनदेखी

बसावतिया ने बताया कि हाल ही में खाटू श्याम जी में शेखावाटी संभाग स्तर का एक महाधिवेशन आयोजित किया गया था, जिसमें पुजारियों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा कर एक सर्वसम्मत मांग पत्र तैयार किया गया था। लेकिन सरकार ने इस मांग पत्र को अब तक ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की उदासीनता पुजारियों के मनोबल को ठेस पहुंचा रही है और यदि समय रहते इन मांगों पर गंभीरता नहीं दिखाई गई तो महासंघ को मजबूरन आंदोलन की राह अपनानी पड़ेगी।

आंदोलन की चेतावनी

महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने पुजारियों की समस्याओं को लेकर शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो तहसील स्तर पर चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। इसमें धरना, प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने जैसे कार्यक्रम शामिल होंगे।
झुंझुनूं पुजारी सेवक महासंघ की यह मांग सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जानकारों की माने तो राज्य सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह धार्मिक सेवाओं में लगे पुजारियों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उनके कल्याण हेतु ठोस नीतियां बनाए। समय रहते अगर यह मुद्दा नहीं सुलझाया गया तो राज्यभर में आंदोलन की स्थिति बन सकती है, जिससे धार्मिक व्यवस्था और सामाजिक समरसता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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