मक्कासर गांव में बारिश पीड़ितों को राहत देने की मांग तेज, प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
हनुमानगढ़।हिमांशु मिढ्ढा
तहसील हनुमानगढ़ के गांव मक्कासर में 9 जुलाई को हुई भारी बारिश के कारण दलित बस्ती के 70 से 80 घरों को गंभीर नुकसान पहुंचा। मकानों की नींवें बैठ गईं, टॉयलेट-बाथरूम ध्वस्त हो गए और दर्जनों परिवारों को अपने ही घरों से बेघर होकर सरकारी स्कूल में शरण लेनी पड़ी। इस आपदा के बाद भी प्रशासनिक संवेदनहीनता के विरोध में सोमवार को दलित समाज के लोगों ने जिला कलेक्ट्रेट पर जोरदार धरना प्रदर्शन करते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए पीड़ितों के लिए त्वरित आर्थिक सहायता की मांग की।धरने को संबोधित करते हुए दलित नेता प्रेमराज नायक ने कहा, “जिस तरह से दलित बस्ती में घर जमींदोज हो गए, वह केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रशासनिक विफलता का नतीजा है। एक बच्ची जब शौचालय में गई, तो टॉयलेट जमीन में धंस गया। यह केवल घरों की मरम्मत का मामला नहीं, बल्कि इंसानी जान की सुरक्षा का प्रश्न है।” उन्होंने प्रशासन से मांग की कि सभी पीड़ित परिवारों को अस्थायी शिविर, भोजन और आवश्यक सुविधाएं तुरंत उपलब्ध करवाई जाएं।जसविंदर सिंह धारीवाल ने अपने भाषण में कहा, “प्रशासन की पहली जिम्मेदारी है कि पीड़ितों को राहत पहुंचाई जाए, न कि उन्हें स्कूल से बाहर निकालकर खुले में छोड़ दिया जाए। बीडीओ द्वारा स्कूल खाली करवाने का निर्णय अमानवीय है। मुआवजा केवल कागजों में नहीं, जमीनी स्तर पर दिखना चाहिए।”नायक समाज के प्रदेश अध्यक्ष नारायण नायक ने कहा कि सभी पीड़ित परिवारों को उनके क्षतिग्रस्त मकानों के लिए अधिकतम मुआवजा दिया जाए और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नए मकान दिलवाए जाएं। उन्होंने कहा, “यह अवसर है जब सरकार यह सिद्ध करे कि वह वंचित समाज के साथ खड़ी है।”भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष अलोक बिबान व गणपत बारूपाल ने मक्कासर ही नहीं, बल्कि आईटीआई बस्ती, 2 केएनजे और सुरेशिया वार्ड नं. 58 के भी पीड़ितों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, “हनुमानगढ़ की कई बस्तियों में जलभराव और मकानों का गिरना आम बात हो गई है। प्रशासन स्थायी जल निकासी व्यवस्था बनाए और खेतों से बहकर आने वाले पानी को रोकने के लिए मजबूत बांध बनवाए।”ज्ञापन में प्रमुख रूप से पांच मांगें रखी गईं – सभी पीड़ितों की 100% क्षतिपूर्ति करते हुए अधिकतम मुआवजा, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ, स्थायी जल निकासी की व्यवस्था, खेतों से आने वाले पानी को रोकने के लिए बांध, और अन्य प्रभावित क्षेत्रों के पीड़ितों को राहत।नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन शीघ्र राहत नहीं देता, तो दलित समाज के सामाजिक एवं राजनीतिक संगठन व्यापक जन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।देर शाम जिला कलक्टर के साथ तीसरे दौर की वार्ता सफल रही। वार्ता में सहमति बनी कि आगामी 07 दिवस के भीतर कमेटी जांच कर रिपोर्ट पेश करेगी, जिसके आधार पर सभी पीड़ितों को मुआवजा दिया जायेगा।मक्कासर संघर्ष समिति के सदस्यों ने चेतवनी दी है कि अगर प्रशासन अपनी बात से मुकरता है तो इससे उग्र आन्दोलन किया जायेगा। इस मौके पर गणपत राम बारूपाल, काला सिंह, कुलदीप औलख, सुलोचना बावरी, शेलेन्द्र मेघवाल, राजेन्द्र स्यिाग फौजी, आलोक बिबान, प्रेमराज नायक, विकास झोरड़, रामदेव, भरत मेघवाल, जसविन्द्र सिंह धालीवाल, अमर सिंह, अमित कल्याणा, सुनील लिम्बाना, निरंजन नायक, इकबाल खान, नारायण नायक, कुलदीप अम्बेडकर सुमेर सिंह, सतीश चिन्टू, सुनील नायक, सुरेन्द्र वर्मा, दलीप बसेर, सतपाल जोगपाल, बाबूलाल, सोनू चोपड़ा, मनीष बौध व अन्य सदस्य मौजूद थे।
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