चिड़ावा के बावलिया बाबा की 14वीं दिव्य संदेश यात्रा का शुभारंभ 15 दिसंबर को

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धूमधाम से होगा 8 दिवसीय यात्रा का आयोजन, आयोजन समिति के सदस्यों ने बाबा की यात्रा की तैयारियां की प्रारंभ

चिड़ावा । झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
बिड़ला के वरदाता, जन-जन की आस्था के प्रतीक परमहंस पंडित गणेशनारायणजी बावलिया बाबा के निर्वाणोत्सव पर भगवत जन कल्याण मिशन द्वारा बाबा का यशोगान जन-जन तक पहुंचाने के लिए पिछले 13 वर्षों से आयोजित होने वाली परमहंस दिव्य संदेश यात्रा 15 दिसंबर से प्रारंभ होगी। यात्रा आयोजन समिति के सदस्यों ने बावलिया बाबा के दिव्य संदेश यात्रा संबंधी तैयारिया आरंभ कर दी है। वहीं यात्रा मार्ग में पड़ने वाले गांवों व शहरों में भी बाबा के भक्त यात्रा के स्वागत व अन्य तैयारियों में लग गए है। आयोजन समिति के अभयसिंह बडेसरा और मुकेश जलिंद्रा ने बताया 15 दिसंबर को सुबह सवा दस बजे कॉलेज रोड पर सनातन आश्रम पोद्दार पार्क स्थित परमहंस पीठ से पूजन-आरती के साथ आठ दिवसीय यात्रा आयोजन का शुभारंभ होगा। यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर बावलिया बाबा के कृपा शिष्य विश्व सनातन धर्म संघ के राष्ट्रीय संयोजक पं. प्रभुशरण तिवाड़ी के सानिध्य में बाबा के जीवन चरित्र का गुणगान किया जाएगा। लोगों को बाबा के भजनों, जीवन गाथा और संबंधित साहित्य के द्वारा उनके चमत्कारों से अवगत करवाया जाएगा। यात्रा पड़ाव स्थलों पर रथ में विराजमान बाबा के दिव्य स्वरूप की आरती, मंगलपाठ और प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होगा।

ये रहेगा यात्रा कार्यक्रम

14वीं दिव्य संदेश यात्रा 15 दिसंबर को सनातन आश्रम परमहंस पीठ से रवाना होकर सेही कलां, स्यालू से सूरजगढ़ पहुंचेगी। 16 दिसंबर को यात्रा सूरजगढ़ से रवाना होकर लोटिया, धींगड़िया, बड़बर से बुहाना पहुंचेगी। जहां रात्रि विश्राम होगा। 17 दिसंबर को यात्रा पचेरी, गोद, शिमला होते हुए सिंघाना पहुंचेगी। 18 दिसंबर को सिंघाना से रवाना होकर कॉपर, गोठड़ा, कोलिहान होते खेतड़ी पहुंचेगी। जहां रात्रि विश्राम होगा। 19 दिसंबर को यात्रा डाडा फतेहपुरा, नालपुर, त्यौंदा होते हुए टीबा बसई पहुंचेगी। रात्रि विश्राम के बाद 20 दिसंबर को यात्रा मेहाड़ा, सिहोड़, मावंडा होते हुए बबाई पहुंचेगी। 21 दिसंबर को यात्रा बबाई से रवाना होकर यात्रा बडाऊ, रसूलपुर, नंगली होते हुए जसरापुर पहुंचेगी। जहां रात्रि विश्राम होगा। 22 दिसंबर को यात्रा जसरापुर से रवाना होकर लोयल, चनाना, सुलताना होते हुए वापस चिड़ावा पहुंचेगी। जहां बाबा की आरती के साथ यात्रा का समापन होगा।

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