करीब चार घंटे झुंझुनूं विधानसभा के बीएलओ ने किया कार्य बहिष्कार, इधर, मलसीसर एसडीएम ने 136 बीएलओ को दिया कारण बताओ नोटिस

झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
पूरे प्रदेश में एसआईआर का काम चल रहा है। लेकिन एसआईआर के कार्य में गति देने के लिए अब बीएलओ को टारगेट दिए जा रहे है। जो उनके लिए सिरदर्द बन गया है। इसी के चलते शनिवार को झुंझुनूं विधानसभा के बीएलओ ने कार्य बहिष्कार कर धरना शुरू कर दिया। दरअसल शनिवार को झुंझुनूं विधानसभा में एसआईआर के काम को गति देने के लिए रिटर्निंग अधिकारी एसडीएम कौशल्या विश्नोई ने बीएलओ की बैठक बुलाई थी। लेकिन सभी बीएलओ बैठक में जाने की बजाय कलेक्ट्रेट पर धरने पर बैठ गए। अचानक बीएलओ के धरने की सूचना पर तहसीलदार महेंद्र मूंड पहुंचे। जिन्होंने समझाइश की और फिर जिला परिषद के सभागार के बंद कमरे में बीएलओ के साथ पहले एसडीएम कौशल्या विश्नोई और बाद में एडीएम डॉ. अजय आर्य ने वार्ता की। करीब चार घंटे की कशमकश के बाद बीएलओ वापिस लौटे। इस मामले में जिला कलेक्टर डॉ. अरूण गर्ग ने बताया कि बीएलओ भी हमारी टीम का हिस्सा है। उनकी कुछ समस्याएं थी। जिनको सुन लिया गया है और समाधान कर रहे है। झुंझुनूं, मंडावा और उदयपुरवाटी विधानसभा में एसआईआर का काम धीमी गति से चल रहा है। जिसे जल्द ही तेज कर लिया जाएगा। इधर, मंडावा विधानसभा की रिटर्निंग अधिकारी मलसीसर एसडीएम सुमन देवी ने एक साथ ही 136 के करीब बीएलओ को धीमी गति में काम करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जिससे बीएलओ में हड़कंप मच गया है।
4 दिसंबर तक जिंदा रहूंगा, या नहीं, यह भी पता नहीं
वहीं दूसरी तरफ झुंझुनूं विधानसभा के झुंझुनूं शहर के 10 बीएलओ पर लगाए गए सुपरवाइजर का अधिकारिक व्हाट्प अप ग्रुप में शनिवार सुबह किया गया मैसेज भी वायरल हो रहा है। जिसमें यह सुपरवाइजर अपनी पीड़ा बताते हुए अंत में लिख रहा है कि चार दिसंबर तक मैं जिंदा रहूंगा या नहीं, यह भी नहीं पता। बहरहाल, अब बीएलओ काम पर लौट आए है। जिसके बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
आक्रोशित बीएलओ ने लगाए थे ये आरोप
इससे पहले झुंझुनूं में शनिवार सुबह एसआईआर कार्यक्रम को ब्रेक के साथ—साथ उस समय झटका लग गया। जब एसआईआर अभियान के दौरान बढ़ते काम के दबाव को लेकर झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र के बूथ लेवल अधिकारियों ने सुबह—सुबह ही फिल्ड में काम पर जाने की बजाय कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और धरना दिया। बीएलओ ने आरोप लगाया था कि बिना आवश्यक सहायक स्टाफ के उनसे दोहरी जिम्मेदारियों को पूरा करने का दबाव डाला जा रहा है, जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। बीएलओ ने बताया कि पहले उनकी आईडी लेकर फार्म ऑनलाइन कर दिए गए। अब अचानक प्रत्येक बीएलओ पर 150 फॉर्म कलेक्ट करने और उनमें से 100 फॉर्म ऑनलाइन अपलोड करने के लिए पाबन्द किया गया है। उनका कहना है कि फील्ड में जाकर फार्म भरवाना और साथ-साथ ऑनलाइन अपलोड करना अकेले व्यक्ति से इस टारगेट को पूरा करना सम्भव नहीं है। बीएलओ प्रतिनिधियों ने कहा कि भारी कार्यभार के बावजूद उन्हें किसी प्रकार की सहायक टीम, तकनीकी सहयोग या अतिरिक्त समय नहीं दिया जा रहा है। जिससे वे मानसिक दबाव महसूस कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान बीएलओ ने कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा। जिसमें कार्यभार कम करने तथा सहायक स्टाफ उपलब्ध कराने की मांग शामिल है। प्रदर्शन की सूचना मिलने पर तहसीलदार मौके पर पहुंचे और उन्होंने बीएलओ से बातचीत कर स्थिति समझने की कोशिश की। उनकी समझाइश के बाद आंदोलनरत बीएलओ और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच वार्ता का दौर प्रारंभ हुआ। लेकिन इस वार्ता से भी मीडिया को दूर रखा गया और बंद कमरे में वार्ता की गई। इधर, बीएलओ ने चेतावनी दी कि यदि कार्यभार संबंधी समस्याओं का समाधान नहीं करने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी थी।












