
सुलताना । झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
शेखावाटी की परंपराओं में अब नई सोच का रंग घुलने लगा है। कभी सिर्फ दूल्हे की शान मानी जाने वाली घोड़ी पर अब बेटियां भी बैठकर समाज को बराबरी का संदेश दे रही हैं। शादियों के सीजन के साथ ही फिर से घोड़ियों पर बैठी दुल्हनें देखने को मिल रही हैं। झुंझुनूं जिले के सुलताना कस्बे के पीपली चौक क्षेत्र में रहने वाले रामचंद्र कुमावत ने अपनी बेटी खुशबू की शादी के मौके को खास बनाते हुए उसे घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी निकाली। बिंदौरी के दौरान परिवार के सदस्य और रिश्तेदारों ने डीजे की धुनों पर जमकर डांस किया। घोड़ी पर बैठी खुशबू भी खुद को रोक नहीं पाई और ठुमके लगाकर इस पल को यादगार बना दिया। खुशबू ने कहा कि मेरे सपनों को पूरा करने में परिवार ने हमेशा मेरा साथ दिया है। आज मैं गर्व महसूस कर रही हूं कि मेरे माता-पिता ने मुझे बेटे की तरह सम्मान दिया। रामचंद्र कुमावत ने बताया कि शिक्षित समाज में अब बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब झुंझुनूं जैसी धरती पर लाखों लोग बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संकल्प ले चुके हैंं तो बेटियों की घोड़ी पर बिंदौरी निकालना उस सोच को आगे बढ़ाने का सबसे बड़ा कदम है। समाज में जहां कभी बेटियों के अधिकारों को लेकर संकोच देखा जाता था, वहीं अब इस तरह की पहलें यह साबित कर रही हैं कि बदलाव की हवा शेखावाटी की धरती पर पहुंच चुकी है।














