डाइट और स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप के तहत 21वीं सदी की शिक्षा और नेतृत्व पर विचार मंथन

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झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
डाइट और स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप के तहत 21वीं सदी की शिक्षा और नेतृत्व पर विचार मंथन किया गया। डाइट प्रधानाचार्य सुमित्रा झाझड़िया ने बताया कि स्कूल ऑफ अल्टीमेट के लीडरशिप प्रतिनिधि अभिषेक शेखावत ने डाइट झुंझुनूं का विजिट किया। उनके विजिट पर डाइट टीम द्वारा 21वीं सदी की शिक्षा और नेतृत्व पर विचार मंथन किया। झाझड़िया ने बताया कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने झुंझुनूं जिले के शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान डाइट को उसके नवाचारों, नेतृत्व क्षमता और संदर्भानुकूल शिक्षा मॉडल के लिए एक विशेष नेतृत्व विकास कार्यक्रम में शामिल किया है। यह चयन केवल संस्थान की उपलब्धियों का नहीं, बल्कि जिले में चल रहे शैक्षणिक परिवर्तन के उस आंदोलन का प्रतीक है। जिसमें शिक्षक, विद्यार्थी, समुदाय और प्रशासन मिलकर 21वीं सदी की शिक्षा का धरातल तैयार कर रहे हैं। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा झुंझुनूं डाइट को उत्कृष्ट डाइट के रूप में चयनित किया गया है। इसके अंतर्गत डाइट की संरचना, दृष्टि, नेतृत्व क्षमता, उपलब्धियों और भविष्य की दिशा को समझने के लिए एक आधारभूत आंकलन किया गया। इसी आंकलन के तहत अभिषेक शेखावत का यह दौरा हुआ। जिसमें उन्होंने डाइट के प्रतिनिधियों से विस्तृत बातचीत की। इस संवाद का उद्देश्य केवल वर्तमान स्थिति को समझना नहीं। बल्कि भविष्य में शिक्षा को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप दिशा देना भी था। डाइट पेस्ट प्रभागाध्यक्ष प्रमेंद्र कुल्हार ने बताया कि अभिषेक शेखावत के आगमन पर हुई चर्चा में झुंझुनूं डाइट की तीन वर्षीय कार्ययोजना, शिक्षक विकास की रणनीतियां, शैक्षणिक नवाचारों का विस्तार, व्यक्तिगत नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया, दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक लक्ष्य और स्थानीय शैक्षणिक चुनौतियों पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ। बातचीत में यह बात विशेष रूप से उभरकर सामने आई कि आने वाले समय में झुंझुनूं डाइट केवल एक शिक्षक प्रशिक्षण संस्था न रहकर, एक ऐसा संदर्भ केंद्र बनेगा। जहां से पूरे जिले में शिक्षा के नए प्रयोगों को दिशा मिलेगी। उन्होंने बताया कि यह रिसोर्स सेंटर संदर्भ आधारित पाठ्यक्रम और मॉड्यूल के माध्यम से सभी को नवाचारों को स्वयं लागू करने में सक्षम बनाएगा। इस केंद्र का उद्देश्य जिले को 21वीं सदी की शिक्षा का आदर्श जिला बनाना है। जहां नवाचार केवल विचार न होकर एक सतत प्रक्रिया बने। अभिषेक शेखावत ने इस दौरान कहा कि शिक्षा जिला स्तर पर प्रभावी बनाने के लिए अहिंसक संवाद, अधिकार के बिना प्रभाव डालने की क्षमता, आत्मचिंतन, नेतृत्व अभ्यास, समावेशिता और संदर्भानुकूल पाठ्यक्रम पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। जिसको लेकर आगामी दिनों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि समावेशन को जिला और डाइट स्तर पर संस्थागत रूप से मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा। ताकि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो सके। चर्चा के दौरान यह भी साझा किया गया कि आगामी दिनों में गांधीनगर में देशभर के डाइट प्राचार्यों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण आयोजित होगा। इसमें अहिंसक संवाद, आत्मचिंतन, नेतृत्व निर्माण, विद्यालय विकास की नई पद्धतियां, 21वीं सदी के मूल्यांकन के तरीके और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित उपकरणों के उपयोग आदि जैसे विषयों पर गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि प्रत्येक डाइट प्राचार्य अपने स्थानीय संदर्भों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा की नई दिशा तय कर सके और नवीन शिक्षण विधियों को विद्यालयों तक पहुंचाने में सक्षम बने। इस संवाद के दौरान डाइट की उपलब्धियों और चुनौतियों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। बीते वर्षों में डाइट ने शिक्षक प्रशिक्षण की नई विधियां विकसित की हैं। समुदाय को शिक्षा से जोड़ा है और परियोजना आधारित अधिगम को जिले के अनेक विद्यालयों में लागू किया है। मासिक शैक्षणिक समीक्षा और चिंतन प्रक्रिया को भी संस्थागत रूप दिया गया है। जिससे शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। यह विचार मंथन केवल एक औपचारिक बैठक नहीं थी, बल्कि जिले की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने वाला एक ठोस कदम है। चर्चा बैठक में डाइट प्रभागाध्यक्ष डॉ. राजबाला ढाका, व्याख्याता शशिकांत, पीरामल फाउंडेशन से अशगाल खान सहित स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे।

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