झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
संत निरंकारी मंडल शाखा झुंझुनू में चूरू के महिला संत समागम का आयोजन किया गया। निरंकारी महिला संत समागम की अध्यक्षता बहन आशा गुजराल दिल्ली हेडक्वार्टर ने की। मुख्य वक्ता के रूप में साध संगत को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु वचनों को संभाल कर रखना। उन्हें किरदार और कर्म में ढालना ही असल भक्ति है। यदि अगर यह ब्रह्मज्ञान जीवन में नहीं आता तो जीवन में अंधेरा ही अंधेरा था। ज्ञान की रोशनी से प्रकार जीवन में उजाला हुआ है। यह मिशन बाह्य शरीरों की बात नहीं करता। यह रूहानी आनंद को देने वाला है। मनमुटाव को दूर कर प्यार के पुल बनाता है। जाति धर्म से ऊपर उठकर मानव को एक होने का संदेश देता है। मनुष्य को शब्दों का प्रयोग हमेशा सोच समझ कर करना चाहिए। सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज के प्रेम, करुणा, दया, सहयोग, विश्वास और भक्ति का संदेश देना है। महाभारत में श्रीकृष्ण जी द्वारा सुदर्शन चक्र के लिए एक उंगली का प्रयोग हुआ था। परंतु प्रेम की प्रतीक बांसुरी में दोनों हाथों के साथ–साथ अंग प्रत्यंग का भी प्रयोग करना पड़ा। इसलिए प्रेम को संभालना एक कला है। बाल संस्कार व गृहस्थ में प्रेमपूर्वक रहने की शिक्षा देते हुए सभी के मंगल की कामना की। जोनल इंचार्ज महात्मा शिव भगवान बजाज ने आई हुई साथ संगत का आभार और धन्यवाद ज्ञापित किया। झुंझुनू की मुखी बहन सुमित्रा कटारिया ने भी भक्तिभाव से पूर्ण विचार व्यक्त किए। संचालन बहन निहारिका और डॉ. कंचन शर्मा ने किया। जोन स्तरीय महिला संत समागम में झुंझुनूं, चूरू, सीकर के हजारों निरंकारी संतों ने सहभागिता दी। दिल्ली से आई जूही ने विचार और बहन रानी खन्ना ने गीत के माध्यम से भाव व्यक्त किए।