शिव महापुराण कथा में भगवान शिव की पूजा की पौराणिक विधि का वर्णन
चिड़ावा।इस सृष्टि मे जो कुछ दिखाई देता है वह सब शिव तत्व है। इस संसार मे जो कुछ भी है उसे बनाने वाला एवं बनने वाला स्वयं परम शिव है। सृष्टि के निर्माण के समय वही ब्रह्म पालन के समय विष्णु एवं संहार के समय रूद्र उसी के स्वरूप है। चर-अचर मे जो कुछ है सब वही है। ईश्वर समुद्र के समान है हर प्राणी बूंद के समान है। ईश्वर अंशी है हर प्राणी अंश है। उक्त गूढ़ विवेचना कथाव्यास वाणी भूषण पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने सेही कलां के शिवालय मंदिर मे चल रही श्री शिव महापुराण कथा के सातवें दिवस कथा के उपसंहार पर की। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने दायित्व का भली-भांति निर्वहन करें। सबकी सेवा करते हुए भगवान का स्मरण करें। यही सदमार्ग है। कथा में भगवान शिव की पूजा की पौराणिक विधि का वर्णन। स्वर्ग—नर्क में जाने के कारणों सहित अनेक प्रसंग सुनाए गए। इस दौरान भगवान शिव व माता गोरा की मनोहारी सजीव झांकी एवं सुमधुर भजनों की प्रस्तुति सराहनीय रही। कथा के प्रारंभ में यजमान संदीप कुमार शर्मा ने आचार्य सियाराम शास्त्री के वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य शिव महापुराण व व्यास पूजन किया। कथा में डॉ. जगदीश शर्मा, श्रीचंद पूनियां, पूर्व सरपंच जगदीश बड़सरा, गजानंद शर्मा, बिहारीलाल शर्मा, अरुण शर्मा, नंदलाल स्वामी, शिवलाल शर्मा, हजारीलाल शर्मा, अशोक शर्मा, संदीप शर्मा, पवन शर्मा, बुद्धिधर कुलहरि, बाबूलाल शर्मा, राकेश कुमार, अरविंद शर्मा, रवि वर्मा, जितेंद्र जांगिड़, संतोष सिंह शेखावत, मनोज नाय, रतिराम महरिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुष मौजूद रहे।
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