अब तक 25 प्रतिशत संपत्तियां हुई पोर्टल पर दर्ज, बस तीन दिन शेष

झुंझुनूं I अजीत जांगिड़
झुंझुनूं जिले की वक्फ संपत्तियों को केंद्र सरकार के उम्मीद पोर्टल पर दर्ज करवाने के लिए अब बस तीन ही दिन शेष बचे है। लेकिन अब तक सिर्फ 25 प्रतिशत संपत्तियों को दर्ज किया जा चुका है। पहले जागरूकता की कमी और अब सर्वर की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी नेहा झाझड़िया ने बताया कि झुंझुनूं जिला मुख्यालय पर दो जगहों पर कैंप लगाकर वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर जानकारी दी जा रही है और अपलोड करवाने का काम भी किया जा रहा है। साथ ही साथ एक अलग टीम लगाकर अल्पसंख्यक समुदाय के बीच यह मैसेज भी करवाया जा रहा है कि 1960 के गजट नोटिफिकेशन में दर्ज संपत्तियों को उम्मीद पोर्टल पर पांच दिसंबर तक हर हाल में अपलोड किया जाए। ताकि सभी संपत्तियां आनलाइन हो जाए। उन्होंने बताया कि जिले में करीब 400 वक्फ संपत्तियां है। जिनमें से अब तक 100 संपत्तियों की जानकारी अपलोड की जा चुकी है। वहीं इसके लिए अल्पसंख्यक समुदाय को जागरूक किया जा रहा है कि वे स्वयं अपनी आईडी बनाकर, ई मित्र से या फिर विभागीय कैंपों में आकर अपनी संपत्तियां दर्ज करवा सकते है। इधर, रिटायर्ड लेक्चरर युनूस भाटी ने बताया कि उनके द्वारा मलसीसर रोड स्थित कम्यूनिटी डवलपमेंट सेंटर पर उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों की जानकारी अपलोड की जा रही है। लेकिन सर्वर स्लो होने के कारण ज्यादा काम नहीं हो पा रहा है। उन्होंने सरकार से इसका समय बढाने और सर्वर की समस्या का समाधान करने की मांग की है। आपको बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद पोर्टल पर रजिस्टर्ड वक्फ प्रॉपर्टीज की डिटेल्स अपडेट करने की आखिरी तारीख को बढ़ाने से मना कर दिया। इस संदर्भ में याचिका लगाई गई थी कि टेक्निकल दिक्कतों की वजह से पोर्टल पर वक्फ प्रॉपर्टीज की डिटेल्स अपलोड नहीं कर पा रहे थे। साथ ही वक्फ प्रॉपर्टीज के केयरटेकर्स को ढूंढने में भी दिक्कतें आ रही थीं, जिन्हें वेबसाइट पर डिटेल्स अपडेट करनी थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बैंच ने कहा है कि ट्रिब्यूनल के पास जाओ। उन्हें केस टू-केस बेसिस पर फैसला करने दो। हम वक्फ एक्ट को दोबारा नहीं लिख सकते। उन्होंने आगे कहा कि कानून में पहले से ही एक उपाय दिया गया है। इसका फायदा उठाओ। हमें दखल क्यों देना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि जब पार्लियामेंट ने रजिस्ट्रेशन प्रोसेस से जुड़े झगड़ों को सुलझाने के लिए पहले ही एक खास फोरम बना दिया है, तो यह अदालत दखल नहीं दे सकती। इसके बाद अब अंतिम तिथि बढाने के मामले में सबकी निगाहें ट्रिब्यूनल पर है।












