किसानों को कहा— जलाएं नहीं, पहले की तरह निराई—गुड़ाई करें

झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
फसलों के अलावा खेतों में उगने वाली अनावश्यक घास—फूस को हटाने के लिए अब किसान शॉर्टकट तरीका अपनाने लगे है। इस घास—फूस की निराई गुड़ाई को छोड़कर इस घास—फूस में आग लगानी शुरू कर दी है। इसे कृषि विशेषज्ञों ने गलत तरीका माना है। झुंझुनूं में आत्मा योजनान्तर्गत दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में कम पानी में फसलों की पैदावार और खरपतवार के लिए शॉर्टकट तरीके पर मंथन किया गया। आत्मा के उप निदेशक शीशराम जाखड़ समेत अन्य कृषि विशेषज्ञों ने दो दिनों में विभिन्न सत्रों में प्रगतिशील किसानों से खेती में आ रही समस्याओं पर चर्चा करते हुए उनके समाधान को लेकर भी सार्थक जानकारी आदान—प्रदान की। शीशराम जाखड़ ने बताया कि पहले खरपतवार के लिए खेतों में निराई—गुड़ाई की जाती थी। लेकिन अब शॉर्टकट के चक्कर में किसान खेतों में खरपतवार के लिए निराई गुड़ाई की जगह आग का इस्तेमाल करने लगे है। आग लगाने से घास—फूस जलाने में जोर तो नहीं आता। लेकिन इस आग से ना केवल जमीन को नुकसान हो रहा है। बल्कि वातावरण भी दूषित हो रहा है। इसलिए खरपतवार के लिए किसानों को निराई—गुड़ाई की पुरानी तकनीक ही अपनाने की अपील की गई है। इसके अलावा किसानों ने पानी की कमी की बात बताई है। कृषि विशेषज्ञों ने हर फसल के लिए पानी की आवश्यकता की जानकारी दी है। ताकि कम पानी में भी अच्छी पैदावार हो सके। इस दौरान वर्षा जल सरंक्षण, उसका कुशलतम उपयोग, खेती में अंधाधूंध रसायनों के प्रयोग से मनुष्य स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्परिणाम व विभिन्न विभागों द्वारा कृषि, उद्यान व आत्मा में चलाई जा रही अनुदानित योजनाओं की जानकारी तथा किसानों द्वारा योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ लेने की सलाह दी। साथ ही रबि फसलों में लगने वाले रोग व कीट की जानकारी, इनकी रोकथाम के उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
जिले के 30 किसानों ने हिस्सा लिया
कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में जिले के 30 किसानों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर के मुख्य वैज्ञानिक व समन्वयक डॉ. दयानंद ने रबि फसलों में क्रांतिक अवस्थाओं पर सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण का सही समय व खरपतवारनाशी की उचित मात्रा, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती सहित नवीनतम कृषि तकनीकी की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। पूर्व क्षेत्रीय निदेशक फतेहपुर डॉ. सहदेव सिंह ने विचार रखे। उप परियोजना निदेशक आत्मा प्रमोद कुमार ने फलदार पौधों के बगीचे लगाने की विधियां, उनके रख रखाव, फसल बीमा इत्यादि के बारें में विस्तार से जानकारी दी। कृषक संवाद के समापन पर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले कृषक चतर सिंह भालोठिया रघुनाथपुरा, रामनिवास जाट घायलों का बास तन कारी व रविन्द्र कुमार जांगिड़ जयसिंहवास को पुरस्कृत किया गया। कृषक संवाद में आत्मा योजनान्तर्गत पुरस्कृत होने वाले किसान महताब सिंह खरबास सीथल को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। कृषक वैज्ञानिक संवाद में पूर्व सहायक कृषि अधिकारी महेश शर्मा, जयसिंह, चतरसिंह भालोठिया तथा प्रगतिशील कृषक बलवीर धायल, रामनिवास कारी, रघुवीर सिंह टांडी, रविन्द्र सिंह सरपंच धींगड़िया, हरिसिंह हमीरवास, विश्वंभरलाल लाम्बा, ओमसिंह कालीपहाड़ी, रघुवीरसिंह, ख्यालीराम माखर तथा तपेश कुमार व रीतेश कुमार भी उपस्थित थे।












