राजस्थान सरकार ने ओपीजेएस यूनिवर्सिटी पर लगाया प्रवेश प्रतिबंध

0
7

फर्जी डिग्रियों और शैक्षणिक फर्जीवाड़े पर सख्त कार्रवाई की शुरुआत, यूजीसी ने पहले ही ओपीजेएस सहित झुंझुनूं की जेजेटी यूनिवर्सिटी, अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी व अन्य को पीएचडी प्रवेश पर प्रतिबंधित किया था, शिक्षा में पारदर्शिता और गुणवत्ता बहाली की दिशा में बड़ा कदम

झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
राजस्थान की उच्च शिक्षा व्यवस्था में चल रहे कथित फर्जीवाड़े और अनियमितताओं पर सरकार ने अब बड़ा कदम उठाया है। राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने तीन अक्टूबर 2025 को जारी आदेश में झुंझुनूं—चूरू बॉर्डर पर स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी अर्थात ओमप्रकाश जोगेंद्रसिंह विश्वविद्यालय चुरु में नए प्रवेशों पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। आदेश में विश्वविद्यालय द्वारा जारी डिग्रियों, शोध पंजीकरण और अध्यापन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं की जांच के भी निर्देश दिए गए हैं।

फर्जी डिग्रियों और शैक्षणिक अनियमितताओं का जाल

पिछले कुछ वर्षों में राज्य के कई निजी विश्वविद्यालयों पर कागजों पर पढ़ाई, बिना पढ़ाई/बैक डेट डिग्री वितरण और फर्जी शोध प्रमाणपत्रों के आरोप लगते रहे हैं।कई मामलों में ऐसे भी प्रकरण सामने आए हैं, जहां बिना कक्षाओं के संचालन, बिना शोध पर्यवेक्षण और बिना विवेचना समिति की अनुमति के पीएचडी डिग्रियां जारी की गई। उच्च शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के खिलाफ प्राप्त शिकायतों में बिना मान्यता वाले कोर्सों में प्रवेश और फर्जी डिग्रियां जारी करना, बाहरी परीक्षाओं के माध्यम से शोध डिग्री जारी करना और छात्रों से फर्जीवाड़े के माध्यम से वसूली जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।

यूजीसी पहले ही दिखा चुका है सख्ती

इससे पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2025 में ओपीजेएस सहित राजस्थान की चार निजी विश्वविद्यालयों श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल टीबड़ेवाला यूनिवर्सिटी चुड़ैला झुंझुनूं, सनराइज यूनिवर्सिटी अलवर, सिंघानिया यूनिवर्सिटी झुंझुनूं पर पांच वर्षों (2025–2030) तक पीएचडी प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। यूजीसी की जांच समिति ने इन विश्वविद्यालयों के शोध कार्यक्रमों में गंभीर शैक्षणिक उल्लंघन, नकली पर्यवेक्षण, और नियम विहीन प्रवेश प्रक्रिया को चिह्नित किया था।

शिक्षा की विश्वसनीयता पर प्रश्न

शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति केवल संस्थागत विफलता नहीं बल्कि उच्च शिक्षा की आत्मा पर गहरा प्रहार है। राजस्थान में बीते वर्षों में कई ऐसे विश्वविद्यालयों के नाम सामने आए, जिनका ध्यान डिग्री बेचने की दिशा में अधिक रहा, न कि शोध और ज्ञान निर्माण की ओर। शिक्षाविद् और समाजसेवी डॉ. सागर कछावा का कहना है कि फर्जी डिग्रियां और अनियमित शोध न केवल शिक्षा की गरिमा को नष्ट करते हैं बल्कि समाज की नैतिक नींव को भी कमजोर करते हैं। अब समय आ गया है कि राज्य सरकार शिक्षा को व्यवसायिक दृष्टिकोण से बाहर निकालकर उसे सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में पुनर्स्थापित करे।

छात्रों के भविष्य पर प्रभाव

इन प्रतिबंधों के कारण हजारों छात्र असमंजस में हैं। कई विद्यार्थियों ने पहले से प्रवेश लिया हुआ है, और अब उनकी डिग्रियों की वैधता पर सवाल खड़े हो गए हैं। यूजीसी और उच्च शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार ने ऐसे छात्रों को सलाह दी है कि वे प्रवेश से पहले विश्वविद्यालयों की मान्यता और मानक की स्थिति की आधिकारिक जांच अवश्य करें, ताकि भविष्य में रोजगार या उच्च शिक्षा में कठिनाई न हो।

सरकार का उद्देश्य — शिक्षा में पारदर्शिता और सुधार

राजस्थान सरकार का यह कदम शिक्षा में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता बहाल करने की दिशा में एक निर्णायक शुरुआत माना जा रहा है। सरकार अब ऐसे सभी विश्वविद्यालयों की आंतरिक समीक्षा, वित्तीय लेखा-परीक्षा और शोध मानक मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के अनुसार हमारा उद्देश्य किसी संस्था को बंद करना नहीं है, बल्कि उन्हें शिक्षा के असली मापदंडों की ओर वापस लाना है। ताकि शिक्षा प्रणाली में विश्वास बहाल हो सके।

आगे का रास्ता

अब नजर इस बात पर है कि प्रतिबंधित विश्वविद्यालय अपनी साख बहाल करने के लिए कौन से सुधारात्मक कदम उठाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन संस्थानों में यूजीसी मानकों के अनुरूप शोध प्रणाली, प्रवेश में पारदर्शिता, स्थाई तथा योग्य शिक्षकों की नियुक्ति और नियमित अकादमिक ऑडिट लागू किए जाते हैं। तो यह शिक्षा जगत के लिए एक नई शुरुआत साबित हो सकती है। राजस्थान सरकार की यह सख्ती केवल प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि उच्च शिक्षा के भविष्य को दिशा देने वाला निर्णायक कदम है। फर्जी डिग्रियों, नकली शोध और शिक्षा के व्यवसायीकरण की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाकर सरकार ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि शिक्षा अब “कमाई का साधन” नहीं बल्कि ज्ञान और नैतिकता का माध्यम होगी।

शहीद भगत सिंह विचार मंच के युवाओं का सम्मान | चूरू सूचना केंद्र कार्यक्रम | वीर तेजाजी विकास समिति

GST स्लैब में बदलाव: चूरू की जनता की राय | फायदा या नुकसान? जानिए सच्चाई | Ground Report

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here