झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
ख़ेमी शक्ति रोड के मुनि आश्रम स्थित सुवादेवी पाटोदिया सभागार में ऋषि सेवा समिति चूरू एवं झुंझुनूं के सनातन प्रेमियों द्वारा आयोजित भागवत कथा के सप्तम दिवस पूज्य ऋषिजी ने कहा कि मनुष्य सुख पाना चाहता है। परंतु सही दिशा में प्रयास नहीं करता है। मनुष्य का स्वभाव है वह बिना किसी प्रयत्न और कष्ट के सुख चाहता है। मनुष्य पुण्य करना नहीं चाहता फिर भी पुण्य के फल की इच्छा रखता है। पाप करता है फिर भी पाप के फल को नहीं चाहता। वेद की ऋचाएं कन्या बनकर प्रभु सेवा करने आई थीं। वेद के तीन कांड व एक लाख मंत्र हैं। कर्मकांड जिसमें अस्सी हजार मंत्र जो ब्रह्मचारी के लिए हैं। उपासना कांड इसके सोलह हजार मंत्र जो गृहस्थ के लिए हैं। भगवान ने 16 हजार उपासना रूपी वेद की ऋचाओं से विवाह किया। धर्म की मर्यादा में रहकर अर्थोपार्जन एवं गृहस्थ धर्म का पालन करना है। सुदामा चरित्र की व्याख्या करते हुए पूज्य राघव ऋषि जी ने कहा कि सुदामा अर्थात् सुंदर रस्सी से बंधा हुआ। माता, पिता, भाई, पत्नी, पुत्र आदि दस रस्सियों से जीवरूपी सुदामा बंधा है। सुदामा जी गरीब थे। जो भगवान को देता नहीं वह गरीब होता है। सुदामा ज्ञानी थे। आजकल ज्ञान केवल अर्थोपार्जन का माध्यम रह गया है। ज्ञान का फल धन या प्रतिष्ठा नहीं परमात्मा से मिलना है। सुदामा की पत्नी सुशीला महान पतिव्रता थी। गरीब पति की निष्ठा से सेवा करने वाली पत्नी सुशीला। पति पत्नी साथ साथ रहकर प्रभु सेवा करते हैं तो ऐसा गृहस्थ आश्रम संन्यास से भी श्रेष्ठ कहा गया है। उन्होंने कहा कि सिंहासन पर बिठाकर भगवान ने अपने आंसुओं से सुदामा के चरणों को धोया। सुदामा पूर्वजन्म में केवट थे अतः प्रभु ने उनके चरणों को धोया। पोथीपूजन, व्यासपीठ पूजन एवं झांकीपूजन नवल किशोर जाखोटिया द्वारा सपत्निक किया गया। शाम सात बजे से भगवती महात्रिपुरसुंदरी महालक्ष्मी के आराधना क्रम में श्रीयंत्र के श्रीबिंदु का पूजन रहा। जिसमें नगर क्षेत्र से जुड़े साधकगणों को पूज्य ऋषिजी के नेतृत्व में महालक्ष्मी आराधना की पूर्णाहुति हुई। समिति के हुक्मीचंद लोहिया, नवलकिशोर जाखोटिया, महेश पारीक, सुशील लोहिया, राजेश सोनी, रमेश गुप्ता, मनीष बजाज, मुरारीलाल कंदोई, राजेश ओझा सहित झुंझुनूं से गणेश हलवाई चिड़ावावाला, राजकुमार मोरवाल, सुभाष जालान, डॉ. डीएन तुलस्यान, महेश बसावतिया, परमेश्वर हलवाई, रामचंद्र शर्मा पाटोदा, संदीप गोयल, रामचंद्र ठठेरा आदि श्रद्धालुओं ने दिव्य आरती की। सुबह पूज्य ऋषिजी ने सपरिवार एवं सहयोगियों सहित राणी सती दादी मां का दर्शनलाभ प्राप्त किया। संयोजक अनिल कल्याणी ने बताया कि शनिवार को सुबह नौ बजे पूर्णाहुति उपरांत नियमित समय पर कथा के अंतर्गत विविध प्रसंगों पर पूज्य ऋषिजी द्वारा प्रकाश डाला जाएगा।