भगवान श्री कृष्ण का चरित्र सबके मन मे चलने वाली अबाध प्रक्रिया- पंडित तिवाड़ी

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चिड़ावा। जब भक्त संसार के चक्र व्यूह से निकलकर परमात्मा को समर्पित हो जाता है तथा अपना सब कुछ भगवान को मानने लगता है तब भगवान उसकी वृतियों से तदाकार करके उससे विवाह कर लेते है। भगवान का एक नाम विवाह भी है, जो उनको समर्पित हो जाता है भगवान उससे विवाह कर लेते है। उक्त वक्तव्य कथा व्यास वाणीभूषण पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने शहर के पुराने पोस्ट ऑफिस के पास पितृ पक्ष के अवसर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान रुक्मणी विवाह के अवसर पर कहे। उन्होंने बताया की रुक्मणी ने मन वचन कर्म से एकनिष्ठ होकर श्रीकृष्ण की चाहत की तो भगवान कृष्ण ने उन्हें अपना बना लिया। तिवाड़ी ने कहा की भगवान बहुत दयालु है। कथा में महारास की वैज्ञानिक व्याख्या की गई व कंस वध उद्धव प्रसंग भी विस्तार से सुनाया गया। इस अवसर पर सजी श्री कृष्ण—रुक्मणी विवाह की भव्य सजीव झांकी बड़ी मनमोहक रही। कथा में भक्तिमय भजनों से आनंद की बौछार हुई। कथा से पूर्व मुख्य यजमान रामावतार शर्मा-कलावती देवी व परिवार के सदस्यों ने आचार्य नरेश जोशी, आमोद शर्मा, विक्रम शर्मा के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य भागवत व व्यास पूजन किया। इस दौरान महेंद्र शर्मा, अशोक शर्मा, प्रमोद शर्मा, अनिल शर्मा, वेदप्रकाश, सुशील कुमार, विनोद कुमार लाम्बीवाला, विनोद खंडेलवाल, कमल मोदी, सुरेश खंडेलवाल, मोतीलाल लांबीवाला, सांवरमल गहलोत, रामावतार शर्मा श्योपुरा, ओमप्रकाश कौशिक, योगेंद्र मिश्रा, राजीव शुक्ला, सुभाष लांबीवाला, कमल शर्मा, संजय शर्मा श्योपुरा, गोपाल लाठ, गोपालसिंह सुलताना, राजेश दायमा, रतनलाल गोयल, सिद्धार्थ शर्मा, अजय शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुष मौजूद रहे।

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