मुनि आश्रम सभागार में तीसरे दिवस की कथा, ग्रहों के आध्यात्मिक प्रभाव और धर्म के महत्व पर दिया विश्लेषण
झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
ऋषि सेवा समिति चूरू एवं झुंझुनूं के सनातन प्रेमियों के तत्वावधान में नगर स्थित मुनि आश्रम के सुवादेवी पाटोदिया सभागार में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पूज्य राघव ऋषि जी ने जड़भरत के प्रसंग का समापन करते हुए कहा कि समग्र सृष्टि भगवान श्रीहरि की है। सृष्टि का नियंत्रण करने के लिए मृत्युलोक में भगवान ने अपने सात प्रत्यक्ष ग्रहरूपी पार्षदों को नियुक्त किया है। जो प्रतिक्षण मनुष्य को संचालित करते हैं। सूर्य आत्मतत्व, चंद्रमा मन, मंगल सत्व, रजस व तमस तत्व, बुध वाणी, बृहस्पति प्रज्ञा व ज्ञान, शुक्र सुख व भौतिक संसाधन, शनि मनुष्य के सुख व दुख को नियंत्रित करता है। विज्ञान कहता है कि इस धरती पर 70 प्रतिशत पानी है एवं मनुष्य के शरीर में 70 प्रतिशत पानी है। प्रत्येक पूर्णिमा पर जब पृथ्वी के सबसे नजदीक चन्द्रमा रहता है। तब समुद्र में ज्वार, भाटे आते हैं तो क्या मनुष्य आन्दोलित नहीं होगा? यदि धर्म की मर्यादा में रहकर जीव जीवन यापन करता है तो उसे सुख व अन्त में मुक्ति प्राप्त होती है। पोथी, कथा झांकी एवं व्यासपीठ पूजन गंगा जाखोटिया एवं नवल जाखोटिया द्वारा किया गया। कथा के अंत में समिति के हुक्मीचंद लोहिया, नवलकिशोर जाखोटिया, मनीष बजाज, मुरारीलाल कंदोई, राजेश ओझा, राजेश सोनी, सहित झुंझुनूं से परमेश्वर हलवाई, सुभाष जालान, डॉ. डीएन तुलस्यान, महेश बसावतिया, अशोक सुलतानिया, संदीप गोयल, रामचंद्र ठठेरा, रामचंद्र शर्मा पाटोदा, राजकुमार मोरवाल सहित गणमान्य भक्त श्रद्धालुओं ने भव्य आरती की। संयोजक अनिल कल्याणी ने बताया कि मंगलवार की कथा में वामन अवतार, श्रीराम चरित्र एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की उत्साहपूर्ण लीला रहेगी। जिसमें प्रांगण के शृंगार आदि की व्यवस्था क्षेत्रवासियों द्वारा कराई जा रही।