तेरापंथ भवन में आयोजित कार्यक्रम में साध्वी सहजप्रभा के सान्निध्य में वक्ताओं ने दिया चरित्र निर्माण और नैतिक जीवन का संदेश, कवियों ने सुनाई प्रेरणादायक रचनाएं
रतनगढ़। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वावधान में राष्ट्रीय स्तर पर चल रही अणुव्रत काव्य धारा के तहत अणुव्रत समिति, रतनगढ़ द्वारा स्थानीय तेरापंथ भवन में रविवार को काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया , जिसका विषय था अणुव्रत की डोर , देश बने सिरमौरष् । कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वीश्री सहजप्रभा के मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेवानिवृत प्राचार्य प्रोफेसर कल्याणसिंह चारण ने कहा कि अणुव्रत आंदोलन मानवता को जिंदा करने का प्रयास है, क्योंकि वही देश सिरमौर होता है जिसके नागरिकों का चरित्र उज्ज्वल होता है । अणुव्रत आंदोलन नागरिकों के चरित्र निर्माण का कार्य करता है। आयोजन की सान्निध्य प्रदाता साध्वीश्री सहज प्रभा ने अणुव्रत के रूप में छोटे छोटे संकल्पों को जीवन में आत्मसात करने का आह्वान करते हुए कहा कि सच्चे इंसान की पहचान तभी हो सकती है जब व्यक्ति का चरित्र उज्ज्वल हो और इसके लिए पूर्ण सक्रियता से प्रयास किया जाए । अणुव्रत की मूल धारणा यह है कि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं की मांग को कम करे व दूसरों की मांग का सम्मान करे । मनुष्य को अपनी जरूरत के हिसाब से जीना चाहिए न कि अपनी ख्वाहिशों के हिसाब से। साध्वीश्री ने बताया कि, अणुव्रत जीवन को मोटिवेशन देता है वहीं देश की समस्याओं का सहज रूप में समाधान करता है। णमोकार मंत्र और मंगलाचरण से आरंभ हुए इस कार्यक्रम में अणुव्रत समिति के नव नियुक्त अध्यक्ष कुलदीप व्यास , अणुव्रत समिति के निवर्तमान अध्यक्ष तेजपाल गुर्जर, समाजसेवी पूनमचंद बैद, जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष मोतीलाल तातेड़ , अणुव्रत समिति के उपाध्यक्ष तेजकरण सीपानी व प्रोफेसर कल्याण सिंह चारण मंचस्थ अतिथि थे।
साध्वी श्री संपत्ति प्रभा ने अपना उद्बोधन देते हुए इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्यक्ति का गलत मार्ग अपना लेना एक बड़ी कमजोरी बताया और समझाया कि अणुव्रत नियम जीवन को ऐसी कमजोरियों से मुक्त कर उत्कृष्ट बनाने वाले हैं । युवा कवि प्रभात बील ने अपनी कविता के माध्यम से जहां संयम और अनुशासन पर बल दिया वहीं परमेश्वर लाल गौड़ ने श्गणपति के पद प्रणेता, वंदन बारंबार से आचार्य तुलसी की वंदना की। कवयित्री भानुप्रिया शर्मा ने श्कहानी है बड़ी पुरानी , नशा मौत की निशानी सुनाई तथा अशोक वर्मा ने लघु प्रसंग के माध्यम से झूठी वाह – वाही पर करारा व्यंग्य किया । पूर्व शिक्षाधिकारी कुलदीप व्यास ने अणुव्रत गीत के साथ-साथ अपना गीत काया माटी की प्राणी क्यों करता है इसपे गुमान , ये साथ ना देगी…ष्सुनाया वहीं दूसरी ओर श्जनता में जागृति आ जाए बढ़ जाए खुशहाली , फैलायें हरियालीश् के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और व्यसन मुक्ति की बात भी कही । लक्ष्मी सोनी ने गीतकार दिलीप स्वामी के गीत भ्रूण हत्या को स्वर दिए और स्वयं दिलीप स्वामी ने ष्अपनी बेटी गीत ष्सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया । जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष मोतीलाल तातेड ने शाब्दिक स्वागत किया। इस अवसर पर सुरेश कुमार मुरारका, लक्ष्य पारीक, चतुर्भुज गोस्वामी, महेंद्र कुमार शर्मा , वासुदेव चाकलान आदि ने अणुव्रत आंदोलन पर अपने विचार प्रकट किये । मनोज चारण ने महाभारत की पृष्ठ भूमि को लेकर रचित गीत कृष्ण बैठे निर्विकार वेदना पिए हुए …… सुनाकर नवचिंतन प्रस्तुत किया। अणुव्रत समिति के उपाध्यक्ष अरुण रामगढ़िया , सहमंत्री नरेंद्र सांकृत्य , कोषाध्यक्ष राजकुमार बैद , संगठन मंत्री रमेश बैद कार्यकारिणी सदस्य वेदप्रकाश चौधरी ,दौलत राम खटीक , बालकृष्ण बील , रामचंद्र पारीक आदि ने आयोजकीय भूमिका निभाई। कार्यक्रम में पं ललित मोहन शास्त्री , रामदेव शर्मा ,जुगराज हीरावत , बाबूलाल कोचर , शंभू दयाल लाटा , लक्ष्मीपत बैद , बद्रीप्रसाद पारीक , विनोदकुमार वर्मा,मांगीलाल स्वामी , नथमल तातेड , वेद प्रकाश पंवार, कमल बैद, विनीत भूतेडिया , जयाकांत बिंवाल, महावीरप्रसाद सेवदा, रघुनाथप्रसाद इंदौरिया, राकेशकुमार नायक, परमेश्वरलाल आत्रेय सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे । काव्य गोष्ठी का संचालन युवा कवि मनोज चारण ने किया।