आपात बैठक बुलाकर लिया निर्णय, हर स्तर पर करेंगे विरोध
झुंझुनूं। अजीत जांगिड़
सूचना केंद्र परिसर में स्थित एक भवन को एसीबी न्यायालय के लिए आवंटित करने का विरोध लगातार जारी है। जिले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत और तत्कालीन कलेक्टर रामावतार मीणा के आश्वासन के बाद एक बार यह प्रकरण निपट गया था और तय हो गया था कि जिस भवन को एसीबी न्यायालय के लिए आवंटित किया जाना है। वो नहीं होगा और एसीबी न्यायालय के जिला प्रशासन दूसरा कोई भवन आवंटित करेगा। लेकिन कलेक्टर मीणा के तबादले के बाद आए डॉ. अरूण गर्ग को भी कुछ अधिकारियों ने फिर से भ्रमित कर पीआरओ कार्यालय के भवन को टारगेट किया और उसे आवंटित करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। जिसके विरोध में शनिवार को जिला मुख्यालय के पत्रकारों की आपात बैठक हुई। जिसमें पत्रकारों ने आक्रोशित लहजे में कहा कि सूचना केंद्र के भवन के लिए हर स्तर पर और हर संभव लड़ाई लड़ी जाएगी। प्रशासन यदि दबाव में ही काम करता है तो पत्रकार भी दबाव बनाएंगे। चर्चा में यह भी सामने आया कि जिला कलेक्टर डॉ. अरूण गर्ग को भ्रमित कर कुछ अधिकारियों ने जान बूझकर पीआरओ कार्यालय को निशाना बनाया है। लेकिन ऐसा होने नहीं दिया जाएगा। यदि एसीबी न्यायालय के लिए यह भवन दे दिया गया तो सूचना केंद्र का वाचनालय और पुस्तकाल, दोनों ही एक साथ खत्म हो जाएंगे।
जिस भवन में सुविधाओं के निर्देश थे, अब उसे ही अधिग्रहण के आदेश
चर्चा में यह भी सामने आया कि सूचना केंद्र पर सबसे ज्यादा एडीएम डॉ. अजय कुमार आर्य ने टेढी नजर कर रखी है। जो ना जाने किसलिए सूचना केंद्र को निशाना बनाए हुए है। लेकिन सवाल यह है कि कुछ दिन पहले ही जिले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत और तत्कालीन कलेक्टर रामावतार मीणा ने सूचना केंद्र का निरीक्षण कर आश्वस्त किया था कि सूचना केंद्र के वाचनालय, पुस्तकालय और प्रेस वार्ता के लिए काम आने वाले भवन को श्री सीमेंट प्रबंधन से बातचीत कर वातानुकूलित और सुविधाओं से युक्त करवाया जाएगा। साथ ही शुक्रवार को भी प्रभारी मंत्री ने यही बात दोहराई और उसके कुछ घंटे बाद ही प्रभारी मंत्री बात को ही हवा में उड़ाते हुए जिला प्रशासन नजर आया। इधर, प्रशासन ‘जिला सरकार’ बदलते ही सरकार बदलती है, वैसे बदला हुआ नजर आ रहा है। हालांकि पत्रकार अपनी सुविधाओं को ना बांटने देने के संकल्प पर खड़े है।
सीएम और सीएस से मिलेंगे, जिले के नेताओं से भी करेंगे बात
बैठक में निर्णय लिया गया कि जल्द ही एक—दो दिनों में जयपुर जाकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मुख्य सचिव सुधांशु पंत, मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार आदि से मुलाकात कर पत्रकार अपनी बात रखेंगे और इस मामले में दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे। यही नहीं जिले के भाजपा और कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर भी अपनी पीड़ा बताएंगे। सभी नेताओं से आग्रह किया जाएगा कि वे उपयुक्त स्थान पर पुरजोर शब्दों में पत्रकारों की मांग का समर्थन करें।
खबरों का बहिष्कार और कार्यक्रमों का ‘पोस्टमार्टम’ होगा
पत्रकारों ने चर्चा कि यदि दो—तीन दिन में जिला प्रशासन ने सकारात्मकता नहीं दिखाई तो सबसे पहले पीआरओ कार्यालय के व्हाट्स अप ग्रुप से जिले के पत्रकार लेफ्ट होकर अपना विरोध दर्ज करवाएंगे। इसके बाद सरकारी कार्यक्रमों के प्रेस नोटों का बहिष्कार कर उन कार्यक्रमों का ‘पोस्टमार्टम’ करके प्रशासन की पोल खोलो अभियान शुरू किया जाएगा। लेकिन किसी भी सूरत में पत्रकार शांत नहीं होंगे।
कलेक्टर से मिले पत्रकार, दिया आश्वासन
इस बैठक के बाद पत्रकार जिला कलेक्टर डॉ. अरूण गर्ग से भी मिले और पूरी बात कलेक्टर के सामने रखी। जिस पर कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि पत्रकारों का अहित नहीं होगा और इस मुद्दे पर दोबारा चर्चा की जाएगी। पत्रकारों ने बताया कि उन्होंने कलेक्टर और अतिरिक्त जिला कलेक्टर से बातचीत के दौरान पुराने डाक बंगले, किसान सेवा केंद्र और पर्यटन विभाग जैसे वैकल्पिक सरकारी स्थानों का सुझाव दिया। जहां एसीबी न्यायालय संचालित हो सकता है। इसके बावजूद, बिना अंतिम निर्णय के सूचना केंद्र की बिल्डिंग का नाप-जोख करवाया गया। जिसे पत्रकारों ने प्रेस (चौथा स्तंभ) के हितों पर कुठाराघात बताया। बैठक में पत्रकारों ने चेतावनी दी कि यदि उन्हें मजबूर किया गया तो प्रशासनिक कार्यों और योजनाओं से जुड़े भ्रष्ट अधिकारियों के काले कारनामों को उजागर करते हुए पत्रकारिता के कानूनी दायरे में रहकर जनहित में समाचार प्रकाशित किए जाएंगे। आवश्यकता पड़ने पर जिले के मीडियाकर्मी आंदोलन का रास्ता भी अपनाएंगे।
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